Dainik Athah

लोक शिकायतों के निराकरण गुणवत्तापूर्ण व समयबद्धत्ता के साथ हो: बीएस भुल्लर

सुशासन पर जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन

25 दिसम्बर तक जिले में मनाया जाएगा सुशासन सप्ताह- प्रशासन गांव की ओर

अथाह संवाददाता
गाजियाबाद।
भारतीय विमानपत्तन आर्थिक विनियामक प्राधिकरण के अध्यक्ष बीएस भुल्लर ने कहा कि लोक शिकायतों का निराकरण गुणवत्ता पूर्ण एवं समयबद्धता के साथ किया जाये।
भुल्लर शुक्रवार को कलक्ट्रेट सभागार में सुशासन दिवस पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। शासन के निर्देश के क्रम में सुशासन सप्ताह- प्रशासन गांव की ओर अभियान जनपद में 25 दिसम्बर तक आयोजित किया जाना है। यह कार्यक्रम बहुत ही महत्वपूर्ण है, कार्यक्रम पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी बाजपेयी के जन्मदिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इस कार्यक्रम के दौरान राजस्व एवं विकास कार्यों का अधिकारीगण ग्रामीण क्षेत्रों में चौपाल लगाकर लोगों की समस्याओं को सुनकर उसका निस्तारण कराना सुनिश्चित कर रहे हैं। सुशासन से तात्पर्य एक ऐसे वातावरण से है जिसमें सभी नागरिक, चाहे वह किसी भी वर्ग, जाति या समुदाय से आते हो, चाहे वह किसी लिंग के ही क्यों न हो, सभी अपनी पूर्ण क्षमता का विकास कर सकें।
भारतीय विमानपत्तन आर्थिक विनियामक प्राधिकरण के अध्यक्ष बीएस भुल्लर ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि सुशासन हमारा संकल्प है और अधिक से अधिक पात्र हितग्राहियों तक सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ पहुंचाना हमारा कर्तव्य। सुशासन सप्ताह मनाने का उद्देश्य प्रदेश में जनता की प्रत्येक समस्या का समाधान किया जाना है। उन्होंने कहा कि हमारे लिए जनसेवा ही सुशासन है। जनशिकायतों की अधिकतम संख्या को निपटाने के लिए सरकार की यह पहल है। उन्होंने सभी जिला स्तरीय अधिकारीगणों से अधिक से अधिक संख्या में जनशिकायतों एवं सेवा प्रदाय आवेदनों का निराकरण करने को कहा है। उन्होंने कहा कि जनशिकायतों का निवारण करते हुए योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक हितग्राहियों को पहुंचाया जाए।
उन्होंने कहा कि शासन वही अच्छा माना जाता है, जिसका प्रशासन अच्छा होता है और दोनों तब अच्छे होते हैं जब लोक कल्याण होता है। वर्ष 1990 के पश्चात शासन को समावेशी स्वरूप प्रदान करते हुए सुशासन की अवधारणा विकसित हुई। सुशासन का सामान्य अर्थ है बेहतर तरीके से शासन। ऐसा शासन जिसमें गुणवत्ता हो और वह खुद में एक अच्छी मूल्य व्यवस्था को धारण करता हो। शासन प्रणाली तो सभी देशों में चल ही रही है, लेकिन वे अपनी प्रकृति में ठीक तरह से जनोन्मुखी या लोकतांत्रिक जीवन शैली से जुड़ी नहीं होती। इसी बिन्दु पर शासन से अलग होता है। सुशासन शासन से आगे की चीज है। इससे शासन के तरीके में और अधिक दक्षता का विकास होता है, जिससे उसकी वैधानिकता और साख में बढ़ोत्तरी होती है। इसके आधारभूत तत्वों में राजनीतिक उत्तरदायित्व, स्वतंत्रता की उपलब्धता, कानूनी बाध्यता, सूचना की उपलब्धता, पारदर्शिता, दक्षता, प्रभावकारिता आदि को रखा जाता है।

उन्होंने कहा कि सुशासन शब्द का चलन 1990 के दशक में देखा गया। इस दौरान ही इस शब्द का तेजी से चलन बढ़ा। विकास की दिशा में प्रयत्न कर रहीं विश्व की कई संस्थाओं और संयुक्त राष्ट्र ने इस शब्द का प्रयोग किया। फिर बाद में अन्य देशों की सरकारों ने शासन की गुणवत्ता को सुधारने के लिए इसे अपनाया। भारतीय सन्दर्भ में देखें तो कौटिल्य रचित अर्थशास्त्र’ में कहा गया है कि प्रजा की उन्नति में ही राजा की उन्नति है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी अच्छे शासन के रूप में सुराज की संकल्पना की थी। कुशासन के दोषों से निपटने के लिए सुशासन की संकल्पना सामने आई जिसमें उत्तरदायित्व सुशासन का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है। जब तक उत्तरदायित्व को नहीं समझा जाएगा तब तक सुशासन हासिल नहीं हो सकता। यह तत्व लोकतंत्र में ही विकसित होता है। सहभागिता से ही सुशासन के विकसित होने की सम्भावनाएं पल्लवित होती हैं। अगर लोकतांत्रिक संस्थाओं के प्रति उत्तरदायित्व नहीं है तो काम का निष्पादन ठीक से नहीं हो सकेगा। उन्होंने कहां की पारदर्शिता सुशासन का दूसरा महत्वपूर्ण तत्व कार्य निष्पादन में पारदर्शिता है। परम्परागत शासन व्यवस्था में प्राय: गोपनीयता का व्यवहार किया जाता है, लेकिन सुशासन में यह स्वीकार्य नहीं है। कार्य और उनके परिणामों से जुड़ी सूचना को मांग पर उपलब्ध कराया जाना चाहिए। देश में पारित सूचना का अधिकार अधिनियम इसी दिशा में उठाया गया कदम है। इससे पारदर्शिता बढ़ी है और शासन पर सही निर्णय लेने का दबाव बढ़ा है।

बीएस भुल्लर ने कहा नागरिकों की समान सहभागिता बढ़ाने पर बल दिया जाना चाहिए। नागरिकों के साथ किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए। व्यवहार में देखने में आया है कि शासन में प्राय: लिंग, वर्ग, जाति आदि के आधार पर सुविधा देने में भेदभाव बरता जाता है, लेकिन सुशासन में इसके लिए कोई जगह नहीं होती है। सुशासन में विश्वसनीयता पर पर्याप्त बल दिया जाता है। अपने वादों और नीतियों को पूरी तरह से अमली जामा पहनाना ही सुशासन लाने का तरीका है। शासन जो नीतियाँ बनाता है उन्हें सही होना चाहिए और जब वे नीतियाँ प्रयोग में लाई जाएं तो पूरी तरह से वचनबद्ध होकर लागू की जाएँ, तभी लोगों में शासन के प्रति विश्वसनीयता आती है। उन्होंने कहा कि विधि सुशासन के लिए विधि का शासन और स्वतंत्र न्यायापालिका का होना जरूरी है। जब व्यक्ति अपनी समस्या को लेकर न्याय की शरण में जाए तो उसे त्वरित न्याय की प्राप्ति होनी चाहिए। एक शक्तिशाली न्यायपालिका ही लोकतंत्र की बुनियाद है जो लोगों की परेशानी को हल करने का एक वैकल्पिक तंत्र भी है। इसके अलावा शासन की प्रक्रियाओं में संवेदनशील, दक्षता और मानवाधिकारों का पूरी तरह सम्मान भी सुशासन के तत्वों में गिना जाता है। इस अवसर पर जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने कार्यशाला के दौरान कहा कि ग्रामीण अंचल क्षेत्रों की बहुत ऐसी समस्याऐं होती हैं जो कि हम लोगों तक पहुंच नही पाती हैं। इस तरह की समस्याओं का समाधान समय से न होने के कारण स्थानीय लोगों को लम्बे समय तक समस्याओं का सामना करना पड़ता है और विकास अवरूद्व होता है। ग्रामीण क्षेत्रों की छोटी से छोटी समस्याओं का प्राथमिकता के तौर पर निस्तारण हेतु सुशासन सप्ताह मनाया जा रहा है। जिसमें जनपद/तहसील/ब्लॉक स्तरीय अधिकारी गांव-गांव पहुंचकर लोगों की समस्याओं का निस्तारण कर तथा शासन द्वारा विभिन्न विभागों के माध्यम से संचालित जनकल्याणकारी योजनाओं का छूटे एवं पात्र लाभार्थियों को लाभान्वित कर रहे हैं। जिलाधिकारी ने कहा कि सुशासन का अंतिम और असली उद्देश्य यह है कि शासन द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ जनपद के सबसे दूरस्थ गांव में रहने वाले हर एक नागरिक तक पहुंचना चाहिए, जिससे अंतिम कतार में खड़े व्यक्ति को लाभ पहुंचाने के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हो सके और सुशासन के माध्यम से वांछित परिणाम प्राप्त हो सके। उन्होंने कहा कि ग्रामीण उत्थान की परिकल्पना जमीनी स्तर पर वास्तविक विकास का आकलन करने के लिए एक परिणाम-आधारित दृष्टिकोण पर बल देती है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक फरियादी की शिकायत को निष्पक्ष तरीके से सुनते हुए उनका निस्तारण किया जाना सुशासन को परिभाषित करता है। यदि शिकायतकर्ता अधिकारी द्वारा की गई जांच और समस्या के निस्तारण से संतुष्ट होकर जाता है तो किसी भी सरकारी सेवक के लिए यह सुशासन के कर्तव्यों को बेहतर तरीके से निर्वहन करने की महत्वपूर्ण कड़ी है। उन्होंने कहा कि सुशासन के सही मायने तभी समझ में आते हैं जब कोई भी अधिकारी शासन की नीतियों को जरूरतमंदों तक त्वरित गति के अनुसार पहुंचाएं और कोई भी पात्र व्यक्ति योजना से वंचित न रहे। सरकार की मंशा के अनुरूप संचालित केंद्र एवं राज्य की कल्याणकारी योजनाओं का क्रियान्वयन किया जाना ही सुशासन है। समय पर कार्यालय में उपस्थित होकर अधिकारी प्रत्येक व्यक्ति की समस्या को सुने और उसका त्वरित निस्तारण करें। उन्होंने कहा कि सुशासन अभिययान का उद्देश्य है कि लाभार्थियों को सीधे योजनाओं से लाभान्वित किया जाए। उन्होंने अधिकारियों से आह्वान करते हुए कहा कि सर्वे कर सभी पात्र लाभार्थियों को शासन द्वारा संचालित जन कल्याणकारी योजनाओं से लाभान्वित अवश्य किया जाए। सुशासन सप्ताह तभी सफल होगा जब पात्रों तक योजना का लाभ पहुंचेगा। इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी विक्रमादित्य सिंह मलिक ने कहा कि 19 दिसंबर से 25 दिसंबर, 2022 तक सुशासन सप्ताह-प्रशासन गॉव की ओर अभियान चलाया जा रहा है। जिसके माध्यम से दूरस्थ गाँव के लोगों की समस्याओं का निस्तारण प्राथमिकता के आधार पर करते हुए योजनाओं का लाभ दिलाया जा सके। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के सतत विकास के दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए, योजनाओं को वास्तविक रूप से निचले स्तर पर रहने वाले लोगों की जरूरतों और इच्छाओं को ध्यान में रखना चाहिए और एक पारदर्शी, प्रभावी और जवाबदेह तरीके से नवीनतम तकनीकी साधनों के माध्यम से लागू किया जाना चाहिए। ग्रामीण और उपेक्षित क्षेत्रों का विकास शासन की मुख्य प्राथमिकताओं में से है और शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच की खाई को पाटना है। उन्होंने कहा कि सुशासन सप्ताह ‘प्रशासन गांव की ओर’ अभियान का मुख्य उद्देश्य है कि प्रशासन हर समय आम जनमानस के लिए उपलब्ध रहे। सुशासन का सार्थक अर्थ तभी होगा जब विभिन्न विभागों द्वारा चलाई जा रही जन कल्याणकारी योजनाओं को लोगों तक पहुंचाया जाए। उन्होंने कहा कि लंबित आवेदनों का निस्तारण एवं शिकायतों का भी निस्तारण करना सुशासन की एक सतत प्रक्रिया है। कार्यशाला में अपर जिलाधिकारी प्रशासन ऋतु सुहास, अपर जिलाधिकारी नगर बिपिन कुमार, मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ0 भवतोष शंखधर, समस्त एसीएम सहित सभी जिला स्तरीय अधिकारीगण उपस्थित रहे।

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