नगर निगम ने नगर विकास विभाग के निदेशक की संस्तुति पर विवादित फर्म को बिना बोर्ड की जानकारी के 8.97 करोड़ का भुगतान कर दिया
भाजपा पार्षद ने मुख्यमंत्री से की निष्पक्ष जांच की मांग
अथाह संवाददाता , गाजियाबाद। भ्रष्टाचार के मामले में नगर निगम ने गाजियाबाद विकास प्राधिकरण को भी पीछे छोड़ दिया है।घपलेबाजी के नित नए मामले सामने आने से निगम की साख को बट्टा तो लग ही रहा है ऊपर से करोड़ों रुपए की राजस्व हानि हो रही है।
भाजपा पार्षद राजेंद्र त्यागी द्वारा हाल ही में उठाए गए संपत्ति कर घोटाले के मामले की लपटें अभी शांत भी नहीं हुई थी कि एक और करोड़ों रुपए के भुगतान का जिन्न बाहर आ गया। भाजपा पार्षद राजेंद्र त्यागी ने प्रदेश के सीएम सहित अन्य संबंधित विभागों को भेजे शिकायती पत्र में मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है।
मामला ब्लैक लिस्ट फर्म मेसर्स व्हाइट प्लाकार्ड टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड से जुड़ा है, यह वही है फर्म है जिसे 2016 में नगर निगम सीमा अंतर्गत स्थापित पारंपरिक लाइटों को शासनादेश के तहत एलईडी लाइटों में परिवर्तित करने की ठेका दिया था।निगम के विभिन्न जोन में 50214 नग एलईडी में परिवर्तित करना था, फर्म ने 48113 लाइटो को परिवर्तित करना दर्शाया था।
जबकि क्षेत्रीय प्रकाश निरीक्षकों के मुताबिक फर्म द्वारा 42966 लाइटो को ही बदला गया। पार्षद ने कहा कि नियमानुसार फर्म को पारंपरिक लाइट को बदलकर विभागीय स्टोर में जमा करना था, फर्म ने 48113 के स्थान पर मात्र 35388 नग ही स्टोर में जमा कराए।
उन्होंने कहा कि लगाई गई 25 फीसदी लाइटें खराब हो चुकी है जो मरम्मत योग्य भी नहीं है। फर्म द्वारा बरती गई अनियमितता के कारण अगस्त 2018 में निगम कार्यकारिणी की बैठक में फर्म को ब्लैक लिस्ट करने के आदेश दिए गए थे।
निगम द्वारा बार-बार कहने के बावजूद लाइटों को ठीक नहीं कराया गया। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा विद्युत बिलों के आधार पर माह जून 2018 से मार्च 2019 तक करीब सात करोड़ 20 लाख की विद्युत बचत दिखाते हुए 75% धनराशि 5 करोड़ 40 लाख से लगभग 58.66 लाख के इलेक्ट्रॉनिक ड्राइवर की कटौती कर एलीवेटर डीजल ड्राइवर का वेतन अनुरक्षण स्टाफ का वेतन सम्मिलित नहीं है।
4 करोड़ 81 लाख का 70 प्रतिशत 3.37 करोड़ का भुगतान शासन द्वारा संस्तुति राजनैतिक नगर विकास विभाग के उच्चाधिकारियों के दबाव में की गई। उन्होंने कहा कि फर्म ने अनुबंध की शर्तों का खुला उल्लंघन किया साथ ही कार्य पूर्ण न करने, एलइडी लाइट की गुणवत्ता की जांच कराए बिना ही करोड़ों का भुगतान कराना पूरी तरह न्याय संगत नहीं है।
उन्होंने कहा कि नगर विकास अनुभाग के आला अधिकारियों द्वारा फर्म को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से एकतरफा कार्रवाई करते हुए निगम को विश्वास में लिए बिना दबाव में 3 करोड़ 36 लाख 88 हजार 395 के सापेक्ष 8 करोड़ 97 लाख 13602 रुपए का भुगतान कर दिया गया। जिससे नगर निगम को सीधे 5,60,25207 रुपए का नुकसान हुआ।
उन्होंने कहा कि इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और जिन अधिकारियों की संलिप्तता पाई जाती है उनके विरुद्ध कार्यवाही तथा ब्लैक लिस्ट फर्म को किए गए करोड़ों रुपए भुगतान की राशि को वापस लेने की मांग की है।