Dainik Athah

डासना देहात ग्राम पंचायत के 200 से ज्यादा पट्टे निरस्त

दो दशक पहले नियमों को ताक पर रखकर दिये गये थे पट्टे

एडीएम प्रशासन रितु सुहास की अदालत ने सुनाया निर्णय

वर्ष 2002- 2003 में दिये गये थे पट्टे

अपात्र लोगों को आवंटित किये गये थे कृषि के पट्टे

अरबों रुपये मूल्य की 30 से 35 बीघा जमीन होगी कब्जों से मुक्त

अशोक ओझा
गाजियाबाद।
करीब दो दशक पूर्व गाजियाबाद सदर तहसील की ग्राम पंचायत डासना में नियम विरूद्ध किये गये 201 पट्टों को अपर जिलाधिकारी प्रशासन रितु सुहास की अदालत ने निरस्त कर दिया है। इस फैसले से डासना में हड़कंप है। पट्टे ऐसे लोगों को आवंटित किये गये जो साधन संपन्न थे, गांव के बाहर के थे, ग्राम प्रधान अथवा ग्राम पंचायत सदस्यों के रिश्तेदार थे। पट्टों की करीब 30 से 35 बीघा जमीन का मूल्य अरबों रुपये बताया जाता है।
ग्राम पंचायत डासना देहात में कृषि पट्टों के आवंटन का प्रस्ताव 19 दिसंबर 2002, तीन फरवरी 2003 एवं पांच मई 2003 को किया गया था। इस दौरान कुल 203 लोगों को पट्टे किये गये। इस मामले में ग्राम पंचायत डासना के तत्कालीन प्रधान की मिलीभगत से करीब 30 से 35 बीघा जमीन की बंदरबांट की गई। इन कृषि पट्टों के खिलाफ भारतीय किसान यूनियन ने शिकायत की थी कि अपात्र लोगों को पट्टों का आवंटन किया गया है तथा ग्राम पंचायत की बेशकीमती जमीन की बंदरबांट की गई है।


इस मामले में तत्कालीन एसडीएम एसबी तिवारी से जांच करवाई गई। उन्होंने 19 दिसंबर 2003 को अपनी जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी को प्रेषित कर दी। उन्होंने जांच में पाया कि पात्र व्यक्तियों की सूची आवंटन से पूर्व तैयार नहीं की गई, अपात्र व्यक्तियों को पट्टों का आवंटन किया जाना, आवंटन प्रक्रिया में वरीयता क्रम का पालन न करना, गांव में ग्राम वासियों से जानकारी प्राप्त न होना एवं ग्राम समाज की बहुमूल्य भूमि को एक अपराधिक षड़यंत्र के तहत अपात्र व्यक्तियों एवं संस्थाओं को आवंटित करना। इस दौरान कुल 132, 31 एवं 38 पट्टों का आवंटन निरस्त करने की सिफारिश की गई। इस मामले में एसडीएम गाजियाबाद के न्यायालय में कार्यवाही प्रारंभ की गई। कुल तीन मुकदमें अदालत में थे इनमें सरकार बनाम विजय लक्ष्मी आदि, सरकार बनाम ताराचंद आदि एवं सरकार बनाम विजयपाल आदि।
बाद में यह मामला अपर जिलाधिकारी प्रशासन की अदालत में पहुंचने के बाद उन्होंने निर्णय देते हुए सभी पट्टों को निरस्त कर दिया। इसके साथ ही उन्होंने तहसीलदार सदर को आदेश दिया कि जिस भूमि के पट्टे हुए थे उस भूमि को कब्जा मुक्त करवाने के साथ ही कृषि भूमि को पूर्व स्थित नौयत के अनुसार राजस्व अभिलेखों में ग्राम समाज संपत्ति दर्ज की जाये।

एसडीएम की जांच में पट्टा धारकों के अपात्र पाये जाने के कारण

विजय लक्ष्मी के दो पुत्र अध्यापक है . मदनपुत्र काले के पास अपनी जमीन होने के साथ ही इलेक्ट्रोनिक्स की दुकान है . बिजेंद्र, हरफूल, मुकेश, कुंवर पाल, सुरेंद्र बाहर के रहने वाला है . कमल के पास बंदूक का लाइसेंस है, रामवीर ग्राम सभा का सदस्य है . बाला ग्राम प्रधान के पति की बहन है तथा परतापुर रहती है . जीत सिंह ग्राम सभा सदस्य का बहनोई है एवं राज मिस्त्री है . एक व्यक्ति ग्राम सभा सदस्य का साढ़ू है . नेपाल ग्राम प्रधान पति के मामा का पुत्र है . आनंद की राशन की दुकान, बंदूक, रायफल का लाइसेंस है तथा टाटा सूमो एवं कास्मेटिक की दुकान का मालिक है। यह कुछ उदाहरण है। इसके साथ ही ऐसे लोगों को भी पट्टों का आवंटन किया गया जिनका दो मंजिला मकान है, संपन्न लोगों को भी मिलीभगत से पट्टों का आवंटन किया गया।
इसके साथ ही जिनकी सरकारी नौकरी है, बैंक के कर्मचारी है, बैनामा लेखक, जमीनों के मालिकों को भी पट्टों का आवंटन किया गया। उस समय के प्रधान ने अपने रिश्तेदारों के साथ ही ग्राम पंचायत के सदस्यों के परिजनों को भी जमकर उपकृत किया।

इस प्रकार दो सौ से ज्यादा पट्टा आवंटन निरस्त होने से लोगों में हड़कंप है। पट्टों का आवंटन भू माफियाओं ने भी अपने करीबी लोगों को करवाया था, वह भी प्रधान से सांठगांठ कर।

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