Dainik Athah

आवास विकास अफसरों का कारनामा : अधिकारियों ने बिल्डर को 8 की जगह दे दी 388 करोड़ की भूमि

अब फ्लैट की बिक्री पर लगाई रोक, नप सकती है अफसरों की गर्दन

अथाह संवाददाता,
गाजियाबाद।
उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद के अफसरों ने गाजियाबाद के एक बिल्डर को उसकी आठ करोड़ की जमीन के बदले 388 करोड़ की जमीन दे दी। बिल्डर को ग्रीन बेल्ट की भूमि के एवज में गाजियाबाद की सिद्धार्थ विहार योजना के सेक्टर आठ में प्रदेश की सर्वाधिक प्राइम लोकेशन की 60-60 मीटर चौड़ी सड़क के किनारे दे दी गयी। जमीन कितनी कीमती है, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि सिर्फ 12.047 एकड़ जमीन की कीमत 388 करोड़ है। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने बिल्डर से भूमि की पूरी कीमत वसूलने का आदेश किया है।

गाजियाबाद में बिल्डर को जमीन देने में आवास विकास परिषद के अफसरों ने बड़ा खेल किया। वर्ष 2013 में अफसरों ने आवास विकास को 380 करोड़ से अधिक का चूना लगाया था। तत्कालीन परिषद अध्यक्ष और बोर्ड के सदस्यों ने कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए बिल्डर को गाजियाबाद ही नहीं, पूरे प्रदेश की सर्वाधिक प्राइम लोकेशन वाली 388 करोड़ रुपए की जमीन दे दी। पूर्व में जमीन देने का प्रस्ताव खारिज कर दिया था मगर जनवरी 2016 में बिल्डर को इसकी रजिस्ट्री भी कर दी गई।

ऐसे हुआ खेल

गाजियाबाद की सिद्धार्थ विहार योजना में एक कंपनी की छोटे-छोटे टुकड़ों में कई जगह जमीन थी। आवास विकास ने टुकड़े वाली जमीन खुद ले ली थी। कम्पनी को एक जगह जमीन दे दी। 12.047 एकड़ जमीन ली और इतनी ही दी थी। कम्पनी ने बाद में यह जमीन एक बिल्डर को आठ करोड़ में बेच दी। बिल्डर ने इस पर बाउंड्री बनवाना शुरू किया तो वन विभाग ने काम रुकवा दिया। उसने जमीन को ग्रीन बेल्ट और पंछी विहार के लिए आरक्षित कर रखा था। बिल्डर ने आवास विकास से इसके बदले दूसरी जमीन मांगी मगर आवास विकास ने इसे खारिज कर दिया था।

कोर्ट के आदेश पर 2013 में उसे बोर्ड से प्रस्ताव पास कराकर जमीन दे दी गयी। मगर अदालत ने आदेश में बिल्डर को जमीन देने का आदेश नहीं किया था। उसके प्रकरण को सुनवायी कर निस्तारित करने का आदेश हुआ था। मगर अफसरों ने खेलकर उसे आठ करोड़ के स्थान पर जमीन 388 करोड़ की जमीन दे दी। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने बिल्डर को जमीन देने के मामले की सुनवाई करते हुए निस्तारण किया है। उन्होंने उच्च न्यायालय के आदेश के क्रम में बिल्डर के प्रकरण का निस्तारण कर बिल्डर से 388 करोड़ रुपए वसूलने का आदेश किया है। बताया जाता है कि मुख्य सचिव के आदेश के बाद भी बिल्डर पैसा नहीं जमा कर रहा है।

बिल्डर के बनाए फ्लैटों की बिक्री पर लगाई रोक

आवास विकास ने बिल्डर की इस योजना में बनाए गए 2500 फ्लैटों की बिक्री पर रोक लगा दी है। हालांकि बिल्डर अधिकांश फ्लैट पहले ही बेच चुका है। आवास विकास मुख्य अभियंता एससी राय ने बताया कि अधीक्षण अभियंता गाजियाबाद वृत्त ने फ्लैटों की बिक्री पर रोक लगा दी है। इसके लिए वहां बोर्ड भी लगाया गया है। योजना में फ्लैटों की खरीद-फरोख्त अवैध और असंवैधानिक होगी।

आवास विकास के कई अफसरों की गर्दन फंसनी तय

इस मामले में आवास विकास के कई बड़े अफसरों की गर्दन फंस गई है। कुछ बड़े अफसर रिटायर हो चुके हैं, जबकि कुछ अभी भी सेवा में है। जल्दी ही इन अफसरों के खिलाफ भी बड़ी कार्रवाई हागी। इस मामले से खुद मुख्य सचिव काफी नाराज हैं।

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