उत्तर प्रदेश में आईपीसी 376 एवं पाक्सो एक्ट के तहत अपराधियों पर हो रही तेजी से कार्रवाई
शिकायतों के अनुपालन दर में 20.64 प्रतिशत का हुआ सुधार, लंबित मामलों का प्रतिशत भी घटा
मामलों के निस्तारण के लिए बनाए गए 162 फास्ट ट्रैक कोर्ट व 218 एक्सक्लूसिव पॉक्सो एक्ट कोर्ट
योगी सरकार ने महिलाओं व बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों में अपना रखी है जीरो टॉलरेंस की नीति
अथाह ब्यूरो
लखनऊ। महिलाओं और बच्चों के लिए उत्तर प्रदेश सबसे सुरक्षित राज्यों में शुमार हो गया है। एनसीआरबी ही नहीं, भारत सरकार के क्राइम डेटा पोर्टल आईटीएसएसओ (इनवेस्टिगेशन ट्रैकिंग सिस्टम फॉर सेक्सुअल आॅफेंस) ने भी इस पर मुहर लगाई है। इसके मुताबिक योगी आदित्यनाथ सरकार ने प्रदेश में महिलाओं व बच्चों के साथ होने वाले बलात्कार एवं पाक्सो एक्ट के तहत घटित होने वाले अपराधों में बेहद तेजी से कार्रवाई तय की है। जहां इस तरह के मामलों की शिकायत के अनुपालन दर में 20.64 प्रतिशत का सुधार हुआ है तो वहीं, लंबित मामलों का प्रतिशत भी तेजी से घटकर महज 2.73 पर रह गया है। गौरतलब है कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने बच्चों और महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों पर नकेल कसने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। प्रदेश में पाक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई के साथ-साथ ऐसे मामलों के निस्तारण के लिए 162 फास्ट ट्रैक कोर्ट व 218 एक्सक्लूसिव पॉक्सो एक्ट कोर्ट बनाई गई हैं। बीते दिनों प्रदेश में कानून व्यवस्था को लेकर यूपी पुलिस ने मुख्य सचिव के समक्ष समीक्षा बैठक में आईटीएसएसओ पोर्टल के डाटा पेश किए।
तेजी से हुआ मामलों का निस्तारण
आईपीसी 376 (रेप के मामलों में सजा) एवं पॉक्सो एक्ट के अनुपालन दर में 2022 में अब तक 14.03 प्रतिशत, जबकि कुल मिलाकर 20.64 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वहीं लंबित मामलों में भी 2 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई। यदि पॉक्सो मामलों की बात करें तो 2022 में 31 जुलाई तक कुल 14049 मामले कोर्ट में दर्ज थे, जिनमें से 10708 का डिस्पोजल हो गया। वहीं, आईपीसी 376 के 17 हजार 501 केस दर्ज थे, जिनमें 14654 का डिस्पोजल हुआ।
अभियुक्तों को मिली सजा
महिलाओं के खिलाफ गंभीर एवं सामान्य अपराधों में 25 मार्च 2022 से 31 अगस्त 2022 तक 162 फास्ट ट्रैक कोर्ट में 2553 अभियुक्तों को सजा मिली। इनमें 235 को आजीवन कारावास की सजा मिली तो 475 को 10 वर्ष या उससे अधिक की सजा मिली। वहीं, 1843 अभियुक्तों को 10 वर्ष से कम की सजा हुई। इसी तरह, पॉक्सो एक्ट के तहत 25 मार्च 2022 से 31 अगस्त 2022 के बीच 1287 को सजा मिली। इनमें 189 को आजीवन कारावास, 437 को 10 या इससे अधिक और 661 को 10 वर्ष से कम की सजा दी गई।
एनसीआरबी की रैंकिंग में भी सुधार
उत्तर प्रदेश में अपराधों का आंकड़ा किस कदर कम हुआ है, इसका उदाहरण क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम (सीसीटीएनएस) के डाटा से भी मिल रहा है। इसके मुताबिक, जहां एक जनवरी 2022 तक एनसीआरबी ने यूपी को 11वीं रैंक दी थी तो वहीं एक अगस्त 2022 को यह सुधरकर 5वें स्थान पर पहुंच गई। एनसीआरबी के प्रगति डैशबोर्ड के अनुसार एक जनवरी 2022 को जहां 100 में 81.8 प्रतिशत अंक मिले तो वहीं एक अगस्त 2022 को यह प्रतिशत 97.1 पर पहुंच गया। सीसीटीएनएस में वर्तमान में 2832 स्थानों को शामिल किया गया है, जिसमें राज्य के सभी पुलिस स्टेशन, सर्किल कार्यालय, जिला मुख्यालय, रेंज मुख्यालय, जोनल एडीजी कार्यालय और राज्य मुख्यालय शामिल हैं। सीसीटीएनएस योजना के तहत प्रदेश स्तर पर कई तरह की सुविधाएं विकसित की गई हैं। इनमें फुट पेट्रोलिंग के अलावा विवेचना में धारा कम करने या अभियुक्तों के नाम में परिवर्तन होने पर सुपरवाइजिंग अफसर को नोटिफिकेशन, एसएमएस भेजने की सुविधा एवं आरोप पत्र में कुछ फील्ड का समावेश शामिल है। साथ ही यूपी कॉप मोबाइल एप विकसित की गई है, जिसमें आॅनलाइन एफआईआर से लेकर 27 तरह की सुविधाएं नागरिकों को प्राप्त हो रही हैं।