जीडीए उपाध्यक्ष ने प्रवर्तन विभाग पर कसी नकेल
अब सीलिंग की आड़ में शुरू हुआ जीडीए में लूटमार का खेल
आलोक यात्री
गाजियाबाद। जिलाधिकारी व जीडीए उपाध्यक्ष के सख्त तेवरों के बावजूद महानगर में अवैध निर्माण जिस रफ्तार से फल-फूल रहा है उसे देखकर बुलडोजर बाबा भी शायद शरमा जाएं। अवैध निर्माण पर प्रदेश सरकार, हाईकोर्ट व जीडीए उपाध्यक्ष के कड़े रुख के बावजूद प्राइवेट बिल्डर्स व जीडीए इंजीनियर का गठजोड़ कमजोर पड़ता दिखाई नहीं दे रहा है।
जिलाधिकारी व जीडीए उपाध्यक्ष राकेश कुमार सिंह के ध्वस्तीकरण के आदेश के बाद जीडीए के इंजीनियर्स ने अपनी जान बचाने और बिल्डर्स को लाभ पहुंचाने की नीयत से सीलिंग की आड़ ले ली है। ध्वस्तिकरण के आदेश को धता बताते हुए कई जोन में बहुमंजिला कई ऐसी इमारतों को भी सील कर दिया गया है जिनका निर्माण कई माह पूर्व पूर्ण हो चुका है।
जीडीए सूत्रों की मानें तो प्राधिकरण के सभी आठ जोन में अवैध या नक्शे के विपरीत चल रहे निर्माण की संख्या सैकड़ों में है। राकेश कुमार सिंह के उपाध्यक्ष पद संभालने के पहले से ही महानगर में कई अवैध निर्माण कुकरमुत्ते की तरह उग चुके थे। उनमें से अधिकांश इमारतों ने बाकायदा आसमान की ओर सिर उठाना शुरू कर दिया है। राकेश कुमार सिंह की सख्ती के बाद प्रवर्तन विभाग के प्रभारियों ने कुछ इमारतों को सील कर दिया तो कुछ की कंपाउंडिंग कर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश करनी शुरू कर दी।
गौरतलब है कि आर्थिक रूप से कंगाली से जूझ रहे जीडीए के पास कंपाउंडिंग के रूप में आने वाली राशि ही कमाई का बड़ा जरिया है। लेकिन कई माह से इस मद में प्राधिकरण की कमाई घटने को उपाध्यक्ष ने गंभीरता से लेना शुरू कर दिया था। उन्होंने कंपाउंडिंग की शर्तें तय करने के साथ कंपाउंड न हो सकने वाले निर्माण को ध्वस्त करने के निर्देश दिए थे। उनके इस निर्देश से बिल्डर्स में हड़कंप मच गया था। बताया जाता है कि अधिकांश जोन में कई बड़े निर्माण ऐसे हैं जिन्हें कंपाउंड नहीं किया जा सकता। उनके खिलाफ कार्रवाई का एकमात्र विकल्प ध्वस्तीकरण ही है।
जीटीए उपाध्यक्ष के ध्वस्तीकरण के आदेशों को उनके अधीनस्थ ही पलीता लगा रहे हैं। उन्होंने ऐसे निमार्णों को बचाने की नियत से सीलिंग की आड़ लेनी शुरू कर दी है। वैशाली, इंदिरापुरम, विजय नगर व प्रताप विहार जैसे इलाकों में बनी बनाई इमारतों को आनन-फानन में सील करने का काम धड़ल्ले से चल रहा है। इस प्रकरण पर जीडीए उपाध्यक्ष का यह कथन ध्यान देने योग्य है “आर्थिक लाभ लेकर पहले सीलिंग की कार्रवाई होगी, फिर उनसे आर्थिक लाभ लेकर सीलिंग हटाने के आदेश लिए जाएंगे। भ्रष्टाचार का यह खेल अब नहीं चलेगा। लिहाजा सीलिंग के बजाए अब सीधे ध्वस्तीकरण की कार्यवाही ही की जाएगी।” देखना यह है कि प्रवर्तन विभाग के इंजीनियर प्राधिकरण उपाध्यक्ष के कहे पर कितना अमल करते हैं ?