संगठन पर मजबूत पकड़ के बूते 2024 को करेंगे फतह
2024 से पहले निकाय चुनाव में पार्टी की नैया पार लगाने की बड़ी चुनौती
प्रदेश संगठन में अब बदलेंगे समीकरण, हो सकता है बदलाव
अशोक ओझा
लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में बहुप्रतिक्षित बदलाव कर दिया। जिन सुनील बंसल के बूते पार्टी अब तक सत्ता प्राप्त करती रही है उनकी पदोन्नति कर पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय महामंत्री बनाने के साथ ही तीन प्रदेशों का प्रभारी भी बना दिया। इसके साथ ही झारखंड के संगठन महामंत्री धर्मपाल को उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य की जिम्मेदारी देकर 2024 को फतेह करने की चुनौती भी उनके समक्ष होगी। लेकिन जिस प्रकार संगठन ने उनके ऊपर भरोसा जताया है उससे लगता है कि उन्हें फ्री हैंड भी दिया जायेगा।
सुनील बंसल को उत्तर प्रदेश की राजनीति का चाणक्य कहा जाता रहा है। उनकी रणनीति के चलते ही भाजपा ने 2014, 19 के लोकसभा चुनाव, 2017 एवं 22 के विधानसभा चुनाव में विजय की पताका फहराई थी। लंबे समय से यूपी में जमे बंसल की पदोन्नति होने का लंबे समय से सभी को इंतजार था। अब उन्हेंं राष्ट्रीय महामंत्री बनाकर उड़ीसा, तेलंगाना एवं पश्चिमी बंगाल का प्रभारी नियुक्त किया गया है। इसके साथ ही पश्चिम यूपी के सह संगठन महामंत्री कर्मवीर को झारखंड का संगठन महामंत्री एवं वहां के संगठन महामंत्री धर्मपाल को यूपी की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
सुनील बंसल की तरह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता रहे धर्मपाल मूल रूप से भी यूपी के बिजनौर के रहने वाले हैं। वे परिषद में रहते हुए करीब करीब पूरे प्रदेश में रह चुके हैं। इसके साथ ही यूपी का होने के कारण संगठन के संपर्क में वे लगातार रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भी उन्हें सहयोग करने के लिए प्रदेश में भेजा गया था। इसके साथ ही वे जिस जाति से आते हैं उसके ऊपर भी भाजपा की पकड़ मजबूत है। भाजपा सूत्रों के अनुसार सुनील बंसल की विदाई के साथ ही भाजपा को उनके जैसे चाणक्य की ही यूपी में आवश्यकता महसूस हो रही थी। इसका बड़ा कारण यह है कि इसी वर्ष प्रदेश में निकाय चुनाव होने हैं। इसके बाद 2024 को जीतने की चुनौती होगी।
धर्मपाल को करीब से जानने वालों की मानें तो वे सुनील बंसल की भरपाई आसानी से कर सकते हैं। उनकी क्षमता को देखते हुए ही उन्हें यूपी भेजा गया है।
केंद्रीय नेतृत्व के हैं खास
जिस प्रकार धर्मपाल को देश के सबसे बड़े राज्य एवं सबसे अधिक लोकसभा सीटों वाले यूपी की कमान सौंपी गई है उससे यह भी तय है कि वे केंद्रीय नेतृत्व के खास है। इसके साथ ही पार्टी के प्रदेश कार्यालय में बने कोकस को तोड़ने में वे कितने सफल होते हैं यह वक्त ही बतायेगा।