Dainik Athah

सपा सरकार में लैंड बैंक बनाने के नाम पर जमीन खरीद में करोड़ों का खेल

80 से 85 करोड़ रुपये से जीडीए ने खरीदी निष्प्रोज्य भूमि

पिछले सात वर्षों में जमीन का नहीं हो रहा कोई उपयोग

जमीन खरीदने के नाम पर जमकर हुई बंदरबांट

अब पूरे मामले की हो सकती है जांच


अशोक ओझा
गाजियाबाद।
समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) के अधिकारियों ने लैंड बैंक बनाने के नाम पर प्राधिकरण के करोड़ों रुपये स्वाहा कर दिये। खरीदी गई जमीन का सात वर्ष बाद भी प्राधिकरण कोई उपयोग नहीं कर पा रहा है। यहां पर कोई कालोनी बन सकती है यह तो सपने में भी नहीं सोचा जा सकता। प्राधिकरण के त्त्कालीन अधिकारियों ने किसके इशारे पर प्राधिकरण को करीब 85 करोड़ रुपये का चूना लगा दिया। यह सभी जांच के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा। जिस प्रकार जमीन खरीदी गई है उससे पता चलता है कि किसी उच्चाधिकारी को लाभ पहुंचाने के लिए जमीन की विशेष स्थान पर खरीद की गई।

प्राधिकरण सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिस समय एलीवेटिड रोड का निर्माण कार्य चल रहा थ उसी समय प्राधिकरण के अधिकारियों के दिमाग में सवाल कौंधा कि वह एलीवेटिड रोड तो बना रहा है, लेकिन राजनगर एक्सटेंशन अथवा पूरे क्षेत्र में उसके पास अपनी कोई जमीन नहीं है जिसका वह व्यावसायिक उपयोग कर सके। इसके साथ ही लैंड बैंक बनाने का प्रस्ताव 2015 में जीडीए की बोर्ड बैठक में पास करवा लिया गया। इतना ही नहीं लैंड बैंक बनाने के लिए पांच गांवों का चयन किया गया कि इन भोवापुर, शाहपुर, मथुरापुर, शमशेर समेत पांच गांवों की जमीन को लैंड बैंक के लिए किसानों की आपसी सहमति से खरीदा जाये। लैंड बैंक बनाने के लिए एक हजार एकड़ जमीन खरीदने का प्रस्ताव पास हुआ था।

जानकारी के अनुसार गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के लिए लैंड बैंक बनाने के लिए जमीन खरीदने के लिए जिलाधिकारी गाजियाबाद से 7200 से 7600 रुपये की दर से जमीन खरीदने की मंजूरी भी प्राधिकरण के अधिकारियों ने प्राप्त कर ली। लेकिन प्राधिकरण के अधिकारियों की कारस्तानी देखिये कि एक हजार हेक्टेयर के स्थान पर मात्र 11 हेक्टेयर जमीन खरीदी गई।

मात्र एक ही गांव में खरीदी जमीन, वह भी ग्रीन बैल्ट
प्राधिकरण के तत्कालीन अधिकारियों ने मात्र 11 हेैक्टेयर जमीन खरीदी वह भी मात्र एक ही गांव भौवापुर में। जबकि प्रस्ताव पांच गांवों में जमीन खरीदने का था। सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि जो जमीन खरीदी गई है वह ग्रीन बैल्ट में है जहां कोई आवासीय योजना नहीं आ सकती। यह जमीन 80 से 85 करोड़ रुपये में खरीदी गई थी।

कई टुकड़ों में खरीदी गई जमीन, कई हिस्सों में आने- जाने का रास्ता तक नहीं
प्राधिकरण ने जो 11 हैक्टेयर जमीन खरीदी है वह भी कई टुकड़ों में है। इस जमीन में कई स्थानों पर तो आने- जाने का रास्ता भी हीं है। इसके साथ ही सड़क से कोई कनेक्टिविटी भी नहीं है।

कई ने तो जीडीए की खरीद से कुछ दिन पहले ही खरीदी थी जमीन
घोटाले का अंदेशा इसलिए भी है कि प्राधिकरण ने जो जिन किसानों से जमीन खरीदी है उनमें से कई ने तो 15 दिन से लेकर छह माह के बीच ही उस जमीन को खरीदा था। इससे स्पष्ट है कि प्राधिकरण के अधिकारियों की मिलीभगत से ही मात्र कुछ समय पहले जमीन कथित किसानों ने खरीदी थी। इसमें एक बिल्डर भी शामिल है।

एक हजार के स्थान पर मात्र 11 हैक्टेयर जमीन

प्राधिकरण ने लैंड बैंक के लिए प्रस्ताव पास किया था कि एक हजार हैक्टेयर जमीन खरीदी जायेगी। लेकिन 11 हेक्टयेर जमीन खरीदने के बाद प्रस्ताव को यह कहते हुए ठंडे बस्ते में डाल दिया कि प्राधिकरण के पास जमीन खरीदने के लिए धन नहीं है। यह जमीन 80 से 85 करोड़ रुपये में खरीदकर प्रदेश सरकार एवं प्राधिकरण को चूना लगाने का काम किया गया था।

पूरे मामले की करवाई जायेगी जांच, गड़बड़ी मिलने पर शासन को जायेगी रिपोर्ट: कृष्णा करुणेश

इस पूरे मामले में जब गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष कृष्णा करुणेश से बात की गई तो उन्होंने कहा कि पूरे मामले की वे जांच करवायेंगे। यदि थोड़ी सी भी गड़बड़ी पाई जाती है तो पूरे मामले में कार्यवाही के लिए शासन को रिपोर्ट भेजी जायेगी। उन्होंने कहा कि इस प्रकार का मामला है तो यह गंभीर है।

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