Dainik Athah

तीनों नगर निगमों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही दिल्ली सरकार: अमित शाह

अथाह संवाददाता  
नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में MCD बिल पर बयान दिया और दिल्ली सरकार पर नगर निगमों के साथ सौतेला व्यवहार करने की बात कही। केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार के इस व्यवहार के कारण सारे नगर निगम अपने दायित्वों का निर्वहन करने के लिए खुद को पर्याप्त संसाधनों से लैस नहीं पाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि तीनों नगर निगम को संगठित कर फिर से एक दिल्ली नगर निगम हो।

 केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा, ‘आज एक  बिल मैं लेकर आया हूं जिसका मकसद तीन नगर निगमों को एक करके फिर से दिल्ली नगर निगम को एक बनाने का है। संसाधन और सहकारितावादी और सामरिक योजना की दृष्टि से एक ही निगम पूरी दिल्ली की सिविक सेवाओं का ध्यान रखेगा तो उचित होगा।’

गृहमंत्री ने कहा, ‘दिल्ली सरकार, दिल्ली नगर निगमों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। इसके कारण सारे नगर निगम अपने दायित्वों को निर्वहन करने के लिए खुद को पर्याप्त संसाधनों से लैस नहीं पाते हैं।’  गृहमंत्री ने कहा, ‘पिछले दस साल के अनुभव के बारीक विश्लेषण और तथ्य के अनुसार पहले की तरह ही दिल्ली के तीनों निगमों का एकीकरण किया जाए। यह आनन-फानन में किया गया बंटवारा था।’ गृहमंत्री ने कहा, ‘नगर निगम की सेवाओं को और दक्षता और पारदर्शिता के साथ चलाया जाए, ये संशोधन भी इस बिल में हैं। दिल्ली के पार्षदों की संख्या को भी सीमित करने का प्रस्ताव इस बिल में है। नागरिक सेवाओं को कहीं भी और कभी भी, के सिद्धांत के आधार पर व्यवस्थित किया जाए।’

उल्लेखनीय है कि संसद में केंद्र सरकार ने तीनों नगर निगमों को फिर से एक कर दिल्ली नगर निगम बनाने वाला विधेयक पेश किया है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में इस विधेयक को पेश किया था। केंद्र सरकार इस विधेयक से नगर निगम की आर्थिक स्थिति मजबूत होने का दावा कर रही है। इसमें घरों में सफाई करने वाले कर्मचारियों को 14 दिनों के नोटिस देकर हटाने का जो प्रावधान है उसे खत्म कर सभी सफाई कर्मचारियों को पक्का किए जाने की बात कही है। एकीकृत नगर निगम को पहले से अधिक वित्तीय अधिकार मिलेंगे।

इससे तीन नगर निगमों के कामकाज को लेकर व्यय एवं खर्च की देनदारियां कम होंगी। भाजपा का कहना है कि तीनों निगमों को अब सीधे केंद्र सरकार से फंड मिलेगा और शहर का विकास होगा। इस संशोधन बिल के तहत 1957 के मूल अधिनियम में भी कुछ और संशोधनों को मंजूरी दी गई है। इससे पारदर्शिता, बेहतर प्रशासन और दिल्ली के लोगों के लिए प्रभावी सेवाओं को लेकर ठोस आपूर्ति ढांचा सुनिश्चित किया जा सकेगा।

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