Dainik Athah

राग दरबारी

…पद बढ़ने के साथ सोच भी बढ़ाओ साहब

नगर निगम में विपक्ष के पार्षदों को अगर इस बात का अफसोस हो कि उनकी शहर की प्रथम नागरिक और अफसर नहीं सुनते तो समझ में आता है, लेकिन अगर यही शिकायत सत्ताधारी पार्टी के मेंबर करें तो समझ लीजिए दाल में कुछ काला है। यानी प्रथम नागरिक की कार्यशैली से लोग खुश नहीं हैं। इसका अंदाजा दरबारी लाल को कुछ मेंबरों के बीच हो रही गुफ्तगूं से हुई। दरबारी लाल ने नाराजगी का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि नगर निगम की सर्वोच्च पद पर पहुंचे लोग अगर मेंबर जैसी की मानसिकता से काम करेंगे तो कौन खुश होगा, आखिर पद बढ़ने पर सोच भी तो बड़ी होनी जरूरी है।

… व्यवस्था किसी लाला की तो नहीं लगती

प्रदेश सरकार में नवनियुक्त मंत्री के गाजियाबाद आगमन पर एक बैंक्वेंट हॉल में भव्य आयोजन रखा गया। यह आयोजन वैश्य समाज के नेताओं द्वारा आयोजित था जिसमें महानगर जिले और अन्य स्थानों से भी लोगों ने भाग लिया। कार्यक्रम में भाजपा कार्यकतार्ओं की संख्या बहुत अधिक थी। सुबह से ही मंत्री जी के साथ रहे कार्यकता समारोह में पहुंचने के बाद सबसे पहले नाश्ते के लिए पहुंचे। अचानक भीड़ पहुंचने के कारण लोगों को भले ही ठीक से पकोड़े उपलब्ध ना हुए हो, पर कुछ देर में व्यवस्था ठीक हो गई। भाजपा के एक पदाधिकारी ने दूसरे पदाधिकारी से पकोड़े खाते हुए कहा कि यह व्यवस्था किसी लाला की तो नहीं लगती, लाला की व्यवस्था होती तो केवल पकोड़ों पर ही बात ना सिमटती। लालाओं की व्यवस्था में तो कचोरी, पूरी, पोहा और भांति भांति के व्यंजन होते हैं। इन्होंने तो हमारी तरह ही निपटा दिया। बता दें कि फूल वाली पार्टी में आयोजन के साथ जलपान की व्यवस्था पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है और ऐसे में मन के अनुकूल व्यंजन ना हो तो चचार्एं तो कुछ होती ही है।

….दरबारी लाल

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