वायु प्रदूषण को रोकने के लिए सिविल सोसाइटी की अपील
अथाह संवाददाता,
गाज़ियाबाद। गाज़ियाबाद की सिविल सोसाइटी के शीर्ष प्रतिनिधियों ने लोगों से आह्वान किया है कि वह होली दहन में लकड़ी के बजाय गौकास्ट का उपयोग करें। कर्नल तेजेंद्र पाल त्यागी ने बताया कि स्थानीय प्रशासन ने हमारे दिए गए सुझावों मेट्रो पिलर्स पर वर्टिकल गार्डनिंग, मौक्षदा प्रणाली का शव दहन में संचालन, हाईवेज पर सीसी टीवी कैमरे लगाना, डंपिंग ग्राउंड की जगह सेनेटरी लैंड फिल्स बनाना, ई-वेस्ट कलेक्शन सेंटर स्थापित करना, माह में एक बार कार फ्री डे मनाना पर कार्यवाही नहीं की। अब सिविल सोसाइटी ने स्वयं यह काम होली दहन से प्रारम्भ किया है।
विजय पाल बघेल ने एक प्रेसवार्ता में बताया कि अब लोग पुराना टूटा फूटा फर्नीचर, गली सड़ी लकड़ी डालकर या पेड़ काटकर बस जैसे तैसे ऊंची होली जलाने की होड़ में लग गए हैं। एक अनुमान के अनुसार अकेले गाजियाबाद में जलाई जाने वाली लगभग तीन हजार होलिका में 300 टन लकड़ी पेड़ काटकर व छांटकर जलाई जाती है। प्राचीन यज्ञविज्ञान विषय पर शोध में संलग्न शुभ्रा जी ने बताया कि होलिका दहन एक प्रकार का अग्निहोत्र यज्ञ है और हमारे वेददृष्टा ऋषि-मुनियों ने अपने प्राचीन विज्ञान के अनुसार बसन्त और शरद के ऋतु-परिवर्तन काल में केवल गौ के कण्डों पर यज्ञ करना उचित माना है | पंडित शिव कुमार शर्मा ने बताया कि प्राचीन काल में होली दहन केवल गाय के गोबर से बने उपलों से ही किया था, घर घर में और सामूहिक रूप से यज्ञ का आयोजन होता था। जिससे मौसम परिवर्तन होने के साथ-साथ सर्दियों में उत्पन्न नकारात्मक वायुमंडल को शुद्ध किया जा सके। यदि हम लकड़ी के विकल्प के रूप में गोकाष्ठ (गाय के गोबर से बनी लकड़ी) एवं कंडो का उपयोग करें तो वातावरण भी शुद्ध होगा , साथ ही यह हमारी प्राचीन संस्कृति के अनूरूप भी होगा और खर्च भी कम होगा |
एक अनुमान के अनुसार लकड़ी जलाकर मनाई जाने वाली लगभग 7-8 फ़ीट ऊंची एक होली में 7-8 हजार रुपए का खर्चा हो जाता है। सिविल सोसाइटी के मनीष को गौकास्ट, उपले और सामग्री को सोसाइटियों द्वारा मांगने पर उपलब्ध कराने का काम सौपा गया है। इस अवसर पर डा मधु सिंह, एडवोकेट अंशु त्यागी, संध्या त्यागी, एमएल वर्मा, प्रवेश वघेल, रामवीर, डा ज्ञानेंद्र सिंह, पंडित शिवकुमार, सुनीता भाटिया मौजूद रहीं। इस मौके पर कर्नल तेजेंद्र पाल त्यागी,चैयरमेन फ्लैट ओनर फेडरेशन एवं आर डब्लू ऐ फेडरेशन भी मौजूद रहे।