…जब नतीजे देख अधिकारियों के बुझे चेहरे पर लौट आई रौनक
सरकारी अधिकारियों की आस्था किसी न किसी पार्टी से जुड़ी होती है और इसका अहसास चुनाव से पहले ही दरबारी लाल को एक नौकरशाह से राजनैतिक चर्चा के दौरान हो गया। बातों ही बातों में दरबारीलाल को अहसास हुआ कि गाजियाबाद के अधिकांश अधिकारी किसी न किसी माध्यम से चाहते थे कि सूबे में कमल खिलना चाहिए। इसके लिए ऐसा कोई दिन नहीं गया कि उन्होंने अपने दफ्तर में विश्लेशकों से चाय पर चर्चा न की हो और सारी गुणा-भाग के बाद भी नतीजे आने तक उनमें संशय की स्थिति रही। लेकिन गुरूवार को जैसे ही ईवीएम के पिटारे से नतीजे आए तो बुझे चेहरे से ड्यूटी दे रहे अधिकारियों के चेहरे पर रौनक लौट आई। मानों सीएम वहीं हो गए हो और उन्होंने जिले में रहने का सर्टिफिकेट हासिल कर लिया हो।
जब घर वालों ने ही वोट ना दी तो…
विधानसभा चुनाव में मतगणना के दौरान बड़े बड़े वादे करने वाले अनेकों प्रत्याशियों के मुंह लटके हुए दिखे, ऐसे प्रत्याशी के जिन्होंने दिन- रात चुनाव में मेहनत की किंतु परिणाम सुखहद नहीं आया। ऐसे में एक प्रत्याशी ऐसा भी था जिसमें मतगणना के दौरान बहुत उत्साह नजर आया किंतु दरबारी लाल से चर्चा करते हुए उसने अपना दुख भी जाहिर कर दिया। विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी को इस बात का दुख था कि उसके घर में 12 सदस्यों की वोट है उसमें से मात्र 4 वोट ही इस बार मिल पाई बाकि घर के आठ लोगों ने भी उनको वोट नहीं दिया। प्रत्याशी ने कहा कि अफसोस की बात तो यह है जब घर वालों ने ही वोट नहीं दी तो औरों से क्या अपेक्षा करूं।
…दरबारी लाल
Raag Darbari….. Darbarilal….. Raagdarbari…..