सपाइयों के आगे नतमस्तक थे, भाजपाइयों के सामने सीना तानकर
भाजपाई फार्म हाऊस में बंद कार्यकर्ताओं को देखने जाना चाहते थे
अथाह संवाददाता,
गाजियाबाद। मतगणना केंद्र के बाहर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की पुलिस- प्रशासन से हुई नौंकझोंक का मामला लखनऊ में आला अधिकारियों तक भी पहुंच गया। इतना ही नहीं चर्चा है कि भाजपा के ही दो सांसदों के बीच हॉट टॉक भी हुई।
बताते हैं कि मतगणना में आने वाले समर्थकों एवं कार्यकर्ताओं को ठहराने के लिए भाजपा के साथ ही सपा गठबंधन के प्रत्याशियों ने अलग- अलग फार्म हाऊस बुक किये थे। जब कार्यकर्ता वहां उपस्थित थे उसी समय पुलिस ने फार्म हाऊसों पर ताले लगा दिये। शाम के समय जब यह पता चला कि कुछ कार्यकर्ता फार्म हाऊस में बंद है तब सांसद अनिल अग्रवाल, महापौर आशा शर्मा, महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा समेत अन्य कार्यकर्ता उन फार्म हाऊस में जाकर यह देखना चाहते थे कि कोई कार्यकर्ता बंद तो नहीं है। लेकिन वहां जाने को लेकर पुलिस- प्रशासन की भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से नौक झौंक हो गई। पुलिस- प्रशासन का आरोप था कि भाजपा कार्यकर्ता मतगणना केंद्र जाना चाहते थे। यहीं बात प्रशासन एवं पुलिस के स्थानीय अधिकारियों ने ऊपर तक पहुंचाई।
लेकिन जब भाजपा सांसद ने एसीएस सूचना नवनीत सहगल के साथ ही एसीएस होम अवनीश अवस्थी को फोन किया तब जाकर पुलिस- प्रशासन बैकफुट पर आना शुरू हुआ। बात यहां तक बिगड़ गई थी कि सभी नेता सड़क पर धरना देने को भी तैयार हो गये थे। सूत्रों के अनुसार बाद में एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने सांसद अनिल अग्रवाल को फोन भी किया तथा गलती मानी। वह भी आला अफसरों के फोन के बाद।
सपाइयों के सामने आखिर नतमस्तक थे पुलिस- प्रशासन
भाजपा नेता इस मुद्दे को उठा रहे हैं कि सपा कार्यकर्ता तो पुलिस व प्रशासन के अफसरों की गाड़ियां चैक कर रहे थे, आखिर उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई। एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि पुलिस- प्रशासन को शायद यह अंदेशा था कि कहीं गठबंधन की सरकार बन गई तो क्या होगा।
… तो क्या सांसदों के बीच भी हुई गर्मागर्मी
भाजपा सूत्र बताते हैं कि पुलिस- प्रशासन के जिले के अफसरों ने स्थानीय सांसद को फोन किया। जिसके बाद उन्होंने सांसद अनिल अग्रवाल को फोन कर पुलिस- प्रशासन का बचाव करना चाहा। इस पर अनिल अग्रवाल भड़क गये। उन्होंने कहा भाई साहब आप हमेशा इन अफसरों की तरफदारी क्यों करते हो। अपने कार्यकर्ताओं की भी सुननी चाहिये। यह चर्चा पूरे क्षेत्र में चर्चा में खासकर भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। सूत्र बताते हैं कि यदि पुलिस- प्रशासन की गाड़ियों की जांच करने वालों पर कार्रवाई नहीं होती है तो सरकार गठन के बाद यह मामला प्रदेश के आला नेताओं के पास जायेगा।