उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के परिणाम कई मायनों में विशेष रहे। इस चुनाव ने एक बार फिर साबित किया कि मोदी- योगी के नाम पर जातियों के बंधन टूट गये। भाजपा की जीत का यह सबसे बड़ा कारण रहा। यदि कालांतर से देखें तो राजनीति ने ही समाज को जातियों में बांटने का काम किया है। लेकिन इस बार के चुनाव में यह मिथक टूटता नजर आया। शायद ही कोई जाति ऐसी हो जिसने जाति बंधन एवं जातियों का पार्टियों के साथ बंधन की जंजीरों को तोड़ने का काम न किया हो। जो जातियां अब तक पार्टी विशेष की मानी जाती थी यदि सीधे शब्दों में कहें तो दलित मतदाताओं ने एक बार फिर भाजपा का रूख किया। यदि भाजपा की बड़ी जीत हुई तो उसके पीछे मोदी- योगी का चेहरा था। इन दोनों चेहरों के सामने सबकुछ गौण सा हो गया था। इसके साथ ही यादव, ब्राह्मण, ठाकुर, पिछड़ों ने फिर भाजपा का साथ दिया। इसमें एक बड़ा पहलू जिसे छूना भी आवश्यक है वह मुफ्त राशन। मुफ्त राशन ने भी इस जीत में एक बड़ी भूमिका निभाई। खासकर परिवारों की महिलाओं ने भाजपा के कमल की तरफ रूख किया। मुफ्त राशन भी मोदी- योगी की सोच की ही देन है। राशन ने एक बड़ा गुल खिलाने का काम किया। यदि हम देखें तो मोदी- योगी की जनसभाओं के दौरान भी जनता पागलों की तरह उनकी तरफ खींची चली जाती थी। जहां जहां भी योगी के रोड शो हुए अथवा सभाएं उनमें जनता बेकाबू होती नजर आई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो सबसे बड़े ब्रांड एंबेसेडर है उनके रोड शो तो अभूतपूर्व ही होते हैं। अब इसमें कोई शक नहीं रह गया कि दोनों नेताओं की जोड़ी किसी भी किले को भेदने में सक्षम है। जातीय बंधन टूटना उप्र की राजनीति में बड़ा फेरबदल है जो भाजपा विरोधी दलों के लिए चिंता का विषय है।
Manthan….. Manthan….. Manthan…..