भाजपा का हाल: संगठन ने ड्यूटी नहीं लगाई तो क्या, निजी संबंध ही निभा लें
भाजपा ने विधायकों, प्रमुख कार्यकर्ताओं- पदाधिकारियों की ही लगाई ड्यूटी
ड्यूटी का इंतजार करने के बाद बड़ी संख्या में कार्यकर्ता पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों में पहुंचे
अथाह संवाददाता
गाजियाबाद। भारतीय जनता पार्टी चुनाव के दौरान अपने प्रमुख कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों के साथ ही जन प्रतिनिधियों की ड्यूटी प्रदेश के अनेक हिस्सों में लगाती है। लेकिन वर्तमान समय में चल रहे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी ने गिनती के ही लोगों को दूसरे जिलों में भेजा है। लेकिन पार्टी के अनेक कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी पार्टी की न के बाद निजी संबंधों को निभाने के लिए दूसरे जिलों में पहुंचने शुरू हो गये हैं।
भाजपा ने विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण में दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान एवं गुजरात के जन प्रतिनिधियों एवं वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को विभिन्न क्षेत्रों में जिम्मेदारी सौंपी थी। इसके साथ ही दूसरे चरण में भी दिल्ली- हरियाणा के कार्यकर्ता तैनात किये थे। इसके बाद दूसरे चरण के चुनाव से भाजपा ने गाजियाबाद जिले के कार्यकर्ताओं एवं पदाधिकारियों को भी अन्य जिलों में भेजना शुरू कर दिया। इसमें जिले से सबसे पहले 11 फरवरी से मुरादनगर विधायक अजीत पाल त्यागी की ड्यूटी लगाई गई। वे अब तक भी वापस नहीं लौटे हैं। इसके बाद जिले के अन्य विधायकों के साथ ही क्षेत्रीय पदाधिकारियों एवं महानगर के पदाधिकारियों को दूसरे जिलों में भेजना शुरू कर दिया गया।
बावजूद इसके बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता अन्य जिलों में चुनावी ड्यूटी से वंचित हो गये। जब उन्हें लगा कि अब कोई ड्यूटी मिलने वाली नहीं है तब उन्होंने अपने निजी संबंधों को निभाने के लिए कूच करना शुरू कर दिया। अब स्थिति यह है कि जिले व महानगर के अधिकांश पदाधिकारी निजी संबंधों को किसी न किसी क्षेत्र में निभा रहे हैं। इसका सबूत फेसबुक पर डाले जा रहे वीडियो एवं फोटो भी है। निजी संबंधों को निभाने के पीछे चाहत यह है कि उस प्रत्याशी को यह अहसास हो जाये कि यह कार्यकर्ता कितनी दूरी से आया है।
संगठन से ड्यूटी लगने पर होटल से लेकर गाड़ी तक होती पार्टी के खाते में
भाजपा सूत्रों के अनुसार यदि पार्टी किसी कार्यकर्ता की ड्यूटी लगाती है तो जिस कार्यकर्ता को भेजा जा रहा है उसकी गाड़ी से लेकर होटल एवं भोजन तक का खर्च पार्टी उठाती है। सूत्रों की मानें तो पिछले चुनाव में किसी को गाड़ी तो किसी को होटल की सुविधा बेहतर नहीं मिली। यहीं कारण है कि इस बार पार्टी ने गिनती के लोगों की ही ड्यूटी लगाई। अथवा ऐसे लोग ड्यूटी लगवाने में सफल रहे जिनकी पहुंच प्रदेश कार्यालय तक है।
कम संख्या में ड्यूटी लगने पर पार्टी का बचा खर्चा
महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि जितनी कम संख्या में कार्यकर्ताओं की ड्यूटी लगाई जायेगी उससे पार्टी का गाड़ी एवं होटल का खर्चा भी बचेगा। एक पदाधिकारी कहते हैं इस बार पार्टी खर्चे बचाने में ही लगी हुई है।