रुस के राष्टपति ब्लादिमिर पुतिन ने जिस प्रकार निर्णय लेकर कभी सोवियत संघ से अलग हुए यूक्रेन पर हमला किया है वह एक तरह से पूरी दुनिया को चुनौती है। रुस ने जब यूक्रेन पर हमले की रणनीति बना रहा था उस समय अमेरिका समेत नाटो से जुड़े सभी देश पुतिन को डराने व धमकाने का काम कर रहे थे। नाटो एवं अमेरिका खुले शब्दों में चुनौती दे रहे थे। लेकिन पुतिन ने इन धमकियों को दरकिनार कर गुरुवार को तड़के यूक्रेन पर हमला कर दिया। जिस प्रकार रुस ने यूक्रेन पर हमला किया है उसे देखते हुए अनेक सामरिक विशेषज्ञ तीसरे विश्व युद्ध का अंदेशा व्यक्त कर रहे हैं। लेकिन हमले के बाद जो रवैया अमेरिका एवं नाटो का सामने आ रहा है उसे देखते हुए लगता नहीं कि तीसरा विश्व युद्ध होगा। नाटो समेत यूरोप के देश अभी तक यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि उन्हें क्या करना है। रुस भी पूरे विश्व को चुनौति दे चुका है कि उसके मामले में बीच जो भी देश बीच में आया उसे परिणाम भुगतने होंगे जिसके बारे में किसी ने सोचा भी नहीं होगा। इस युद्ध में मंथन लिखे जाते समय दोनों तरफ के एक सौ से ज्यादा लोग एवं सैनिक मारे जा चुके हैं। पुतिन की सेना लगातार आगे बढ़ रही है। लेकिन इन परिस्थितियों में भारत को यूक्रेन में फंसे अपने 18 हजार छात्रों की चिंता सता रही है। यूक्रेन भी यूरोप के देशों की स्थिति समझ चुका है कि उसकी मदद करने का भरोसा देने वाले देश केवल बयानबाजी कर रहे हैं। इन परिस्थितियों में यूक्रेन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुहार लगाई है। यदि देखा जाये तो आने वाले समय में भारत इस पूरे मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। जैसा रूख भारत ने दिखाया है उसकी सराहना ही की जानी चाहिये। रुस व अमेरिका दोनों भारत के दोस्त है। जैसा कहा जा रहा है प्रधानमंत्री मोदी रुस के राष्टÑपति पुतिन से बात करेंगे। उम्मीद की जानी चाहिये कि कोई रास्ता निकले, इसी में पूरी दुनिया की भलाई है।