भाजपा नेतृत्व प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पार्टी ने उनके गृह क्षेत्र गोरखपुर से लड़ाने का निर्णय लिया है। हालांकि यह निर्णय उनका खुद का बताया जा रहा है। नेतृत्व उन्हें भगवान राम की जन्म भूमि अयोध्या से लड़ा कर यह संदेश देना चाहता था ‘जो राम को लायें हैं, उनको लायेंगे’ लेकिन क्या कारण था यह तो पता नहीं, लेकिन बाबा अयोध्या से चुनाव लड़ने से परहेज कर रहे थे। अब असल कारण तो वे स्वयं जानते होंगे अथवा भाजपा नेतृत्व। जिस गोरखपुर को बाबा आसान समझ रहे हैं वह उनके लिए आसान नहीं रहने वाला। भाजपा नेतृत्व को चाहिये था कि बाबा को पश्चिम की किसी सीट से चुनाव लड़वाया जाता। यदि ऐसा होता तो इसका संदेश पहले चरण से शुरू होकर सातवें और अंतिम चरण तक जाता। गाजियाबाद जिले की कोई सीट छोड़िये यदि वे पश्चिम की किसी भी सीट से चुनाव लड़ जाते तो पश्चिम में भाजपा की हवा बन जाती। वर्तमान स्थिति को देखा जाये तो बागपत जिले के साथ ही मुजफ्फरनगर एवं पश्चिम के अन्य जिलों में भाजपा को सीधे लाभ पहुंचता। पश्चिम की यह हवा भाजपा को सत्ता की दहलीज तक फिर से पहुंचा सकते थे। लेकिन योगी का गोरखपुर से चुनाव लड़ने का निर्णय भाजपा को कितना लाभ पहुंचा सकेगा यह तो आने वाले समय में ही पता चल सकेगा। भाजपा के लोगों का मानना है कि पश्चिम से किसी बड़े चेहरे को चुनाव मैदान में उतारा जाना चाहिये था। योगी सरकार के अधिकांश मंत्री अपने ही क्षेत्रों में घिर रहे हैं जो पहले व दूसरे चरण के लिए ठीक नहीं है।