उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। जिस प्रकार के संकेत मुख्य चुनाव आयुक्त ने दिये हैं उससे लगता है कि पांचों राज्यों के विधानसभा चुनाव डिजिटल कैंपेन के साथ ही मीडिया के माध्यम से लड़े जायेंगे। इसके बाद कौन इस निर्णय से प्रफुल्लित हो सकता है यह समझा जा सकता है। सत्तारूढ़ पार्टी की डिजिटल महारथ से कोई अंजान भी नहीं है। लेकिन अन्य दलों की बात करें तो वे इस मामले में भाजपा से कहीं बहुत पीछे हैं। भाजपा ने मंडल स्तर पर सोशल मीडिया टीमों का गठन किया हुआ है। इससे समझा जा सकता है कि भाजपा को डिजिटल कैंपेन में टक्कर देना किसी भी दल के लिए आसान नहीं है। सपा प्रमुख ने जब इसको लेकर सवाल उठाया तो भाजपाई इसका मजाक बनाने लगे। हालांकि बसपा तो इस मामले में सपा से भी पीछे है। हालांकि कांग्रेस भाजपा से डिजिटल में पीछे है, लेकिन सपा- बसपा से आगे है। अब भाजपाई बल्ले बल्ले कि डिजिटल में हमसे कौन टकरायेगा। चुनाव आयोग के सूत्रों की मानें तो 15 जनवरी को चुनाव की नयी गाइड लाइन जारी होगी। शायद इसमें कोई बदलाव हो सके। एक बार डिजिटल मीडिया के सहारे चुनाव प्रचार हुआ तो निश्चित ही आगे अन्य राजनीतिक दल भी इस लाइन पर आगे बढ़ेंगे। लेकिन डिजिटल के मामले में भाजपा से टकराना कोई आसान नहीं होगा। अब यह चुनाव आयोग को तय करना है कि वह क्या करे और क्या न करें।