… किसान आंदोलन का समापन, अब एक इंस्पेक्टर साहब को करना पड़ेगा का काम
किसान आंदोलन के दौरान आंदोलनकारियों के सजातीय एक इंस्पेक्टर साहब की लाटरी लग गई थी। पूरे दिन अपनों के बीच बैठकर गपशप चलती थी। उच्चाधिकारियों के फोन भी सीधे इंस्पेक्टर साहब को आते थे कि क्या चल रहा है। किसानों को यह समझाओ, यह बताओ। लेकिन आंदोलन समाप्ती की घोषणा के बाद इंस्पेक्टर साहब का चेहरा भी मुरझा सा गया है। मुरझाये क्यों न जब उन्हें अब थाने का काम जो करना पड़ेगा। इसके साथ ही अफसरों की डांट खाने का समय भी अब शुरू होगा। हालांकि थाना कमाऊ है इसलिए इसे छोड़ना भी गवारा नहीं। इंस्पेक्टर साहब की इस हालात पर यूपी गेट पर भी चटकारे लिये जाते रहे।
…जब प्रभारी महोदय ने शादी में भी कर दिया बवाल
कहावत है बेवकूफ की यारी जी का जंजाल और ये कहावत कमल खिलाने वाले नेताजी पर सटीक बैठ रही है। दरअसल हाल ही में इन नेताजी के घर में शादी थी। बारात में शहर के सभी नेताओं को आमंत्रित किया गया था। इनमें विजयनगर के एक मंडल के प्रभारी भी थे। अपने बड़बोलेपन के लिए मशहूर प्रभारी महोदय शादी में ये बात भूल गए कि यारों- दोस्तों के बीच कमरे में बैठकर जो बातें होती हैं, वह सार्वजनिक रूप से नहीं हो सकती। लेकिन आखिर उन्होंने अपने तेवर शादी के मंच पर ही दिखा दिए। नतीजा ये है कि प्रभारी महोदय की इस जुबान की वजह से एक और हम प्याले के साथ तनातनी हो गई है।