… यह पुलिस है भाई जीपीएस का भी निकाल लिया तोड़
पुलिस विभाग पर नियंत्रण बनाये रखने के लिए आला अधिकारी रोज नये नये प्रयोग करते रहते हैं। अब पुलिस विभाग को मिली मोटरसाइकिलों की बात करें तो इनमें भी जीपीएस सिस्टम लगा दिया गया है। ऊपर से आदेश यह कि मोटरसाइकिल चलती रहनी चाहिये। दरबारी लाल को पता चला कि इसका तोड़ भी निकाल लिया गया। सिपाही अथवा दरोगा जी मोटरसाइकिल को ले जाकर किसी बाजार में खड़ी कर देते हैं। इसके बाद वे अपने काम से निकल जाते हैं। इस दौरान पूछने पर जवाब दिया जाता है यह चैकिंग प्वाइंट है। तीन- चार घंटे बाद मोटरसाइकिल को उठाकर घूमा जाता है फिर किसी अन्य पुलिसकर्मी के हवाले कर दिया जाता है। निकल गया न जीपीएस का तोड़। इसलिए कहा जाता है यह पुलिस है वह भी गाजियाबाद की।
…तो मंडल अध्यक्षों के निशाने पर प्रभारी महोदय
दूसरे दलों को छोड़कर देश की सबसे बड़ी पार्टी में आए नेता लंबा समय होने की वजह से आज अच्छे पदों पर बैठे है। लेकिन पार्टी की संस्कृति से अभी तक भी आत्मसात नहीं हुए। ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है गाजियाबाद के विधानसभा प्रभारी का। कभी हाथी की सवारी कर चुके ये महाशय प्रभारी होने के नाते तानाशाह की तरह मंडल प्रभारियों को जमकर हड़का रहे है और कई के खिलाफ तो हाईकमान के कान तक भर दिए है। ऐसा लगता है कि सारे मंडल प्रभारी उनकी नजर में बेकार और निष्क्रिय है। प्रभारी महोदय का ये एटीट्यूट मंडल अध्यक्षों को रास नहीं आ रहा और वो उनसे तमताए बैठे है। एक मंडल अध्यक्ष ने तो यहां तक कह दिया कि भाड़ में गया पद, अपना काम छोड़कर पार्टी के लिए काम कर रहे है। बेइज्जती कराने के लिए नहीं बने पदाधिकारी। ज्यादा हुआ तो प्रभारी को ही गर्म करना पड़ेगा। पद कल जाता हो तो आज चला जाएं।