अभी बुधवार की ही बात है जब प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने राम जन्म भूमि, काशी विश्वनाथ के साथ ही मथुरा में कृष्ण जन्म भूमि को लेकर जो बयान दिया है वह एक सोची समझी रणनीति के तहत है। भाजपा को जितना भी मैं जानता हूं उसके अनुसार इतना बड़ा बयान यूं ही नहीं आ सकता। मथुरा को लेकर माहौल गर्माने की योजना पर काम भी शुरू हो चुका है। मुझे याद पड़ता है कि जब राम जन्म भूमि आंदोलन गति पकड़ रहा था उस समय विश्व हिंदू परिषद ने एक नारा दिया था ‘राम- कृष्ण और विश्वनाथ, तीनों लेंगे एक साथ’ राम का अर्थ राम जन्म भूमि पर मंदिर निर्माण शुरू हो चुका है। काशी जाने वालों ने यदि पिछले कुछ दिनों में देखा हो तो वहां का पूरा नक्शा ही बदल चुका है। अब ज्ञानवापी मस्जिद तो अदृश्य सी हो गई है। सीधा अर्थ नारे के दो चरण पूरे हो चुके हैं अब तीसरा कृष्ण जन्म भूमि है। यहां जन्म भूमि के ऊपर ईदगाह बनी हुई है। मामला न्यायालय में विचाराधीन है, लेकिन भाजपा के साथ ही विहिप भी इस मुद्दे को चुनाव तक गरमाने की तैयारी कर रहे हैं। केशव प्रसाद मौर्या भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। 2017 में उनके नेतृत्व में ही पार्टी को जीत हासिल हुई थी। इस वक्त वे प्रदेश के उप मुख्यमंत्री है। उनके बयान को हवा में नहीं उड़ाया जा सकता। अब देखना यह है कि भाजपा इस मुद्दे को कितना आगे बढ़ा पाती है। जितना मुद्दा आगे बढ़ेगा उतना ही ध्रुवीकरण भी होगा। इसका लाभ भी भाजपा को ही होगा।