Dainik Athah

मंथन: कृषि कानूनों की वापसी पर मुहर के बाद भी स्थिति जस की तस

केंद्र सरकार ने आखिरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया । विपक्ष के भारी हंगामे के बावजूद संख्या बल के आधार पर मोदी सरकार ने कृषि सुधारों की दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम वापस ले लिया । यह तो किसानों की समझ में बाद में आयेगा कि उन्होंने तीनों बिलों को वापस करवाकर अपने ही छोटे किसानों का कितना बड़ा नुकसान कर दिया । लेकिन अब तक तीनों कृषि कानून वापस लेने तक रास्ते न खोलने की जिद पर अड़े किसान संगठन अब भी राष्ट्रीय राजमार्गों को बंद किये बैठे हैं । अब उनकी नयी मांग एमएसपी को लेकर है । इसको लेकर पहले वाला रूख ही किसान संगठनों ने अपनाया हुआ है । मतलब साफ है कि तीनों कृषि कानूनों की वापसी का आंदोलन मात्र दिखावा था | अब जिस प्रकार किसान संगठन हठधर्मिता अपना रहे हैं वह साबित करता है कि उनके पीछे कोई न कोई ऐसी ताकत है जो उन्हें सड़कों से उठने नहीं दे रही है । यह बात अब आम आदमी भी समझने लगा है । आंदोलन के कारण रास्ते बंद होने से परेशान लोग खुश थे कि तीनों कृषि कानून वापस होने के बाद रास्ते खुल जायेंगे । लेकिन अब भी जिस प्रकार किसान सड़कों पर बैठे हैं उनके कारण आम आदमी के साथ ही वे किसान जो आंदोलन से दूर है वे भी समझ रहे हैं कि कहीं न कहीं गड़बड़ झाला तो है । यह स्थिति तब जबकि कई खाप चौधरी भी किसानों से घर जाने के लिए कह चुके हैं । अब चार दिसंबर को निर्णय की बात कही जा रही है । लेकिन लगता नहीं कि कोई निर्णय इस मामले में हो सकेगा । अब देखना यह होगा कि आखिर क्या किया जाये जिससे किसान अपने घरों को लौट सके । अब सभी की निगाह सर्वोच्च अदालत की तरफ लगी है ।

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