मेरे कार्यकर्ता में धमकाऊं या …
दो दिन पहले फूल वाली पार्टी के युवा कार्यकर्ताओं की बैठक हुई। बैठक में मुख्य संगठन के अध्यक्ष महोदय के सामने कुछ पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं की शिकायत आई। इस पर पहले से ही किसी मुद्दे पर चिंतित लग रहे अध्यक्षजी ने पूरी भड़ास युवा कार्यकर्ताओं पर निकाल दी। कहा सुधर जाओ अन्यथा …। बहुत कुछ कह गये। बैठक समाप्त होने के बाद दरबारी लाल के सामने ही एक कार्यकर्ता ने बैठक से निकलकर अध्यक्षजी के सामने कहा आज तो अध्यक्षजी ने खूब फटकार लगाई। फिर क्या था तमतमाये बैठे अध्यक्षजी ने कहा मेरे कार्यकर्ता धमकाऊं या फटकार लगाऊं। अध्यक्षजी के चेहरे पर तनाव देख रहे कार्यकर्ता ने वहां से खिसकने में ही अपनी भलाई समझी।
…तो भाई किसने कर दिया टिकट फाइनल
चुनावी माहौल में हर राजनीतिक दल में विधानसभा का चुनाव लड़ने वालों की लंबी फेहरिस्त है। हर विधानसभा में आपने संभावित प्रत्याशी क बड़े-बड़े होर्डिंग लगे देखे होंगे। लेकिन दरबारी लाल को यह बात खटक रही है। क्या पार्टियों ने ऐसे नेताओं को टिकट के लिए हरी झंड़ी दे दी है? क्या उनका टिकट फाइनल हो गया है और केवल पार्टी की ओर से चिन्ह मिलना बाकी है? या फिर वह स्वंभू प्रत्याशी है, जो बरसाती मेढ़क की तरह निकलकर टर्र-टर्र करने लगते है। दरबारी लाल को इसका अहसास उस बाइक मैकेनिक की बात सुनकर हुआ तो ज्यादा पढ़ा-लिखा तो नहीं था, लेकिन ऐसे ही होर्डिंग को देखकर कह रहा था कि मैं भी अपने संभावित प्रत्याशी के पोस्टर शहर में लगवा दूंगा। कुछ नहीं होगा तो प्रचार तो हो ही जाएगा।