Dainik Athah

मंथन – किसान आंदोलन का एक वर्ष: क्या किसान नेता करेंगे मंथन!

दिल्ली की सीमाओं के साथ ही देश के विभिन्न हिसों में पिछले एक वर्ष से कृषि कानून वापस लेने की मांग को लेकर सड़कों पर बैठे किसानों के नेताओं को भी इस वर्ष के कार्यकाल का मंथन करना चाहिये। एक वर्ष पूर्ण होने से पहले ही केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर दी। केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में भी तीनों कानूनों को वापस लेने का प्रस्ताव पास कर दिया। सोमवार को संसद भी इन कानूनों को वापस ले लेगी। लेकिन अब किसान एमएसपी समेत अन्य मुद्दों को लेकर अड़ गये हैं। उनका मानना है कि जिस प्रकार सरकार को कृषि कानूनों पर झुकने को मजबूर किया उसी प्रकार इन मुद्दों पर भी सरकार को झुका लेंगे। यहीं कारण है कि किसानोें ने आंदोलन को जारी रखने की घोषणा की है। लेकिन कृषि कानूनों को वापस लेने के निर्णय से आम किसानों को ही घाटा होगा। यह बात मैं नहीं कह रहा कृषि विशेषज्ञ कह रहे हैं। रही बात एमएसपी की तो देश के सबसे बड़े किसान संगठन शेतकारी संगठन का मानना है कि यदि एमएसपी लागू कर दी गई तो यह देश हित में नहीं होगा। भविष्य में इसका सबसे बड़ा खामियाजा आम जनता के साथ ही किसानों को उठाना पड़ेगा। अब यदि अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार की बात पर यकीन करें तो किसान आंदोलन के बहाने सिखों को हिंदुओं एवं केंद्र सरकार से लड़वाने की योजना देश विरोधी ताकतों की थी। यह बात पहले भी खुफिया सूत्र बता चुके हैं कि आंदोलन को फंडिंग बाहर से हो रही है। खैर देश हित की बात करने वाले किसान संगठनों को एक वर्ष के आंदोलन समेत सभी मुद्दों पर मंथन करना चाहिये कि उनका आंदोलन कितना देश हित में, किसान हित में एवं आम जनता के हित में है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *