‘राजमाता’ सोनिया की कांग्रेस में वजूद बचाने को खुर्शीद के पास तालिबानी बोल की मजबूरी
कांग्रेसी नेता ने राष्ट्रवादी विचारधारा की तुलना मुस्लिम आतंकवादी संगठनों से करके हिंदुओं का किया अपमान
अथाह ब्यूरो,
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री और सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कांग्रेस को हिंदुत्व और हिंदुओं के लिए खतरा बताया है। उन्होंने कहा है कि ‘राजमाता सोनिया’ की कांग्रेस का इतिहास आतंकियों की पैरवी का रहा है। अल्पसंख्यक तुष्टिकरण इनकी नीति रही है। ऐसी मानसिकता न केवल समाज को बांटने और राष्ट्रीय एकता के लिए बड़ा खतरा है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद की हालिया प्रकाशित पुस्तक में हिंदुत्व और हिंदुओं के बारे में की गई टिप्पणी को निंदनीय बताते हुए सिद्धार्थ नाथ ने कहा कि सोनिया गांधी की कांग्रेस में अस्तित्व बचाने के लिए खुर्शीद के पास एकमात्र यही रास्ता है। बगैर भारतीयता और हिंदुत्व की निंदा के कांग्रेस में रह पाना सम्भव नहीं। यही कारण है कि सलमान खुर्शीद ने आब दिग्विजय सिंह की राह अपना ली है।
बुधवार को जारी बयान में हिंदुत्व विरोधी कांग्रेस की मानसिकता पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सिद्धार्थ नाथ ने कहा है कि यही कांग्रेस का चरित्र है। उन्होंने कहा कि इस पर कांग्रेस को पूरे देश को स्पष्टीकरण देना चाहिए कि क्या हिंदुओं के बारे में उसकी यही सोच है और अगर है तो क्यों है। उन्होंने कि यह आश्चर्य की बात है कि कोई राजनीतिक दल और उसके नेता इतने हिंदू विरोधी भी हो सकते हैं कि वह राष्ट्रवादी हिंदुओं की तुलना आईएसआईएस और बोको हरम जैसे आतंकवादी संगठनों से करे। इस तरह की टिप्पणी सांप्रदायिक एकता ही नही बल्कि देश की अखंडता के लिए भी खतरा है। भारत के हिंदू इसे कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे क्योंकि ऐसे विचार मात्र उनकी राष्ट्रवादी भावना का अपमान हैं।
सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि राजनीतिक मतभेद अपनी जगह हैं लेकिन राष्ट्रवादी विचारधारा सभी पार्टियों के लिए एक होनी चाहिए। उन्होंने कहा यह अफसोस की बात है कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने अपनी पुस्तक में अपने मुस्लिम प्रेम और हिंदू विरोध के कारण सारी सीमाएं पार करते हुए हिंदुओं के बारे में निहायत आपत्तिजनक टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि सलमान खुर्शीद को केवल हिंदुओं से ही नही बल्कि समस्त राष्ट्रवादी लोगों से माफी मांगनी चाहिए। यही नही कांग्रेस पार्टी को भी सामने आकर स्पष्ट करना चाहिए कि उनके वरिष्ठ नेता के विचार से उसकी कितनी सहमति है।