Dainik Athah

राग दरबारी

… तबादलों में खूब चला जुगाड़ तंत्र

प्रदेश के मुखिया योगी बाबा तबादलों में जुगाड़ तंत्र को लेकर खासे खफा थे। खफा भी इतने कि जुगाड़ वालों की जांच के आदेश कर दिये। लेकिन इस सरकार में भी शनिवार को हुए तबादलों में जुगाड़ तंत्र खूब चला है। कई पीसीएस अफसर ऐसे हैं जिन्होंने मनचाही तैनाती पा ली। दरबारी लाल को पता चला कि ऐसे ही एक अधिकारी एक प्राधिकरण में दूसरे नंबर का स्थान चाहते थे। मन मांगी मुराद पूरी नहीं हुई तो जिस जिले में थे उसके पड़ौस वाले जिले में चले गये। लेकिन जुगाड़ के चलते अब उसी प्राधिकरण में अपनी बेगम साहिबा को तैनाती दिलवा दी। इसके साथ ही कई अन्य पीसीएस अफसरों ने उन जिलों में तैनाती पाई है जहां वे जाना चाहते थे। जिनके जुगाड़ नहीं चल पाये वे दूर दराज भेजे गये। इसी को कहते हैं जुगाड़ तंत्र।

मोदी सरकार में महंगाई बढ़ेगी नहीं, तो कब बढ़ेगी!

सत्ता पक्ष भले ही बड़े-बड़े काम और कारनामे गिना कर सरकार की तारीफ करती रहे किंतु आम जनमानस में सत्ता के लिए कुछ और भावनाएं हैं। बढ़ती महंगाई ने जहां प्रत्येक व्यक्ति की आर्थिक स्थिति को हिला रखा है वही देश की सबसे बड़े राजनीतिक दल के लोग भी महंगाई से परेशान हैं किंतु आम लोगों के सामने मंचों पर बड़ी-बड़ी तारीफें करते हैं। इस बात का अंदाजा आप किस से लगा सकते हैं कि फूल वाली पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ता एवं पूर्व पदाधिकारी अपने कपड़े के शोरूम पर वस्त्र देखते समय ग्राहक अगर बढ़ती कीमतों पर सवाल करें या इतना महंगा कहे तो सीधे यह महाशय जी कहते हैं कि …मोदी सरकार में सस्ती की बात मत करना महंगाई अब नहीं बढ़ेगी तो कब बढ़ेगी, यह नेता जी भले ही कार्यकतार्ओं के बीच रहकर बड़ी-बड़ी बात करें किंतु दबे स्वर में बढ़ती पेट्रोलियम कीमतों और महंगाई पर कानों को हाथ लगाते हैं। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि विपक्षी नहीं सत्ता के लोग भी महंगाई के बोझ से परेशान हैं पर कहे तो कहे कौन?

मेरी वोट होती तो बताता…

जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे है। आम आदमी को भी अपने वोट के अधिकार का गुमान हो रहा है। दरबारी लाल के सामने एक ऐसा ही वाकया आया। दरअसल महंगाई से इस समय हर वर्ग आहत है। पेट्रोल-डीजल के साथ रोजमर्रा के खाने-पीने की चीजें आसमान छू रहीं है। अब गरीब करें तो करें क्या? कैसे दिखाएं अपना गुस्सा? सो एक रिक्शे वाला बकने लगा सरकार को गाली। जब महाशय से पूछा तो उसने महंगाई का दुखड़ा रोना शुरू कर दिया। उसकी बात भी जायज थी, लेकिन अंत में उसने कहा- उससे गरीब की पीड़ा साफ दिखी। महाशय ने गाली बक कर अपना गुस्सा निकालने के बाद कहा कि अगर मेरी यहां वोट होती तब इन्हें बताता।

-दरबारी लाल

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