महंगाई से राहत का इंतजार बाकी है …
देश के यशस्वी मुखिया की स्टाइल है कि वह अपने फैसलों से सबको चौंका देते हैं , इसलिए जब भी वह राष्ट्र को संबोधित करते हैं तो देश की जनता सांसे रोककर उनका भाषण सुनती है , क्योंकि उन्हें उम्मीद होती है कि शायद पीएम कोई चौंकाने वाला फैसला सुनाएंगे । शुक्रवार को भी पूरे देश के जनमानस की निगाहें देश के मुखिया के भाषण पर टिकी रही । पेट्रोल , डीजल और गैस की बढ़ती कीमतों से आजिज आ चुकी जनता को उम्मीद थी कि आज कुछ नया होने वाला हैं और इस आस में वह टकटकी लगाए टीवी के सामने बैठे रहे । आखिर एक दिन पहले उन्होंने तेल कंपनियों के साथ बैठक जो की थी , लेकिन मुखिया जनता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे । ऐसे में दरबारी लाल के मन में एक सवाल आया कि पीएम का काम तो लोगों को झटका देने का है । पहले नोटबंदी और फिर जीएसटी । ऐसे में वह इतनी आसानी से महंगाई से राहत कैसे दे सकते हैं ?
क्या जल्द ही बदल जाएगा जिलाध्यक्ष !
न ल वाली पार्टी आजकल चचाओं में है । चर्चा इसलिए नहीं कि राष्ट्रीय अध्यक्ष की सभा हुई थी बल्कि चर्चा इसलिए है कि कहीं नवनियुक्त जिलाध्यक्ष दीपावली तक पद मुक्त ना हो जाए । पार्टी में गुटबाजी है या कार्यकताओं में आपस में तालमेल नहीं है , एक दिन पूर्व ही एक जिला पदाधिकारी ने अपने पद से इस्तीफा दिया तो उस पर चर्चा करते हुए अन्य पदाधिकारी से एक पत्रकार महोदय ने पूछा … क्या आप की पार्टी में जिले में सब ठीक है , तो उन्होंने अचानक कह ही दिया जिला तो मैडम चला रही हैं अध्यक्ष से तो सब नाराज हैं .. अरे यह मैडम कौन हैं ! मैडम तो वही हैं जो जिलाध्यक्ष को पद दिला कर लाई और प्रदेश प्रवक्ता भी हैं । मतलब ! .. मतलब सीधा सा है गुटबाजी कर लो या जिले की राजनीति , देखते रहिए दीपावली तक बदलाव की खबर आने वाली है । फिलहाल नल वाली पार्टी में आपसी मतभेद में ही लगी रही तो कैसे होगा 2022 में बेड़ा पार ।
.. बाबूजी की नजर तो बस कुर्सी पर
भा जपा वाले बाबूजी के चर्चे आजकल जोरों पर है । बाबूजी को प्रदेश सरकार ने एक बोर्ड में उपाध्यक्ष बना दिया । इसके बाद सरकारी गाड़ी , गनर एवं ऊपर से वेतन अलग । लेकिन बाबूजी को आजकल कुर्सी को लेकर चर्चा में है । दो दिन पहले उनके विभाग के मंत्री आये । भाजपा कार्यालय में कार्यकर्ताओं से परिचय के बाद बाबूजी सबसे पहले बाहर निकले और कुर्सी पर कब्जा कर लिया । इसी प्रकार एक अन्य कार्यक्रम के समाप्त होने से पूर्व फिर से बाबूजी लंच वाले स्थान पर पहुंचे तथा कुर्सी पर बैठ गये । लेकिन जब वीवीआईपी उससे भी अंदर वाले कमरे मे जाने लगे तब बाबूजी भी धीरे से अंदर हो गये । इतना ही नहीं टिकट की दौड़ लगाने वालों के घरों पर भी दस्तक दे रहे हैं । आखिर ऐसा क्यों न हो , आखिर खुद की सक्रियता जो दिखानी है