… आखिर जयंत के सामने ही बोलने खड़े हुए पूर्व विधायक
शनिवार को रालोद की आशीर्वाद पथ सभा में पार्टी के एक पूर्व विधायक भी मंचासीन थे। आयोजक एवं संचालन करने वाले पार्टी के जिले के मुखिया चाहते थे कि पूर्व विधायक को जयंत चौधरी से पहले ही बुलवाकर उन्हें किनारे कर दिया जाये। लेकिन पूर्व विधायक भी ठहरे पूरे खुर्रांट। संचालन करने वाले के लाख चाहने के बावजूद वे सीट से नहीं उठे। जब भी उनका नाम पुकारा जाता तो वे किसी को जिले के मुखिया के पास भेज देते और किसी वरिष्ठ कार्यकर्ता का नाम सुझा देते। आखिकार एक नेताजी उठे और माइक संभाल कर कहा जयंत जी से पहले त्रिलोक त्यागी एवं पूर्व विधायक जी बोलेंगे। उन्होंने विरोधियों की मंशा पर पानी फेर दिया। अब संचालन करने वाले शायद पहली बार इतने बड़े मंच का संचालन कर रहे थे। लेकिन उन्हें कुछ सूझा नहीं और मन मसोस कर चुप बैठ गये।
…जब दुम दबा कर भागे मंत्री जी
राजनीति में नेता को कभी-कभी अपनों के साथ-साथ विरोधियों के घर भी जाना पड़ता है। लेकिन विकट स्थिति तब हो जाती है, जब विरोधी आपस में ही सिर फुटौव्वल करने लगे। प्रदेश के एक मंत्री के साथ पटेल नगर में कुछ ऐसी ही स्थिति बन गई। भाजपा पार्षद के आग्रह पर मंत्री जी अनजाने में विपक्षी पार्टी के नेता के घर पहुंच गए और वहां पर उन्होंने अधिकारियों के न सुनने का दुखड़ा रोना शुरू कर दिया। मंत्री जी को यह बात मालूम नहीं थी कि वह विरोधियों के यहां बैठे हैं। तो फिर क्या था, विपक्षियों की तरफ से सवालों की बौछार होने लगी। जिसे देखते हुए एक सजातीय कार्यकर्ता विपक्षी नेता से भिड़ गए। जमकर हंगामा हुआ और बमुश्किल मंत्री जी अपना पिंड छुड़ा कर वहां से भागे, तब जाकर मंत्री जी की जान ले जान आई। लेकिन दरबारी लाल को जब इसकी खबर लगी तो एक सवाल मन में आया कि आखिर पार्षद महोदय को क्या जरूरत थी, मंत्री जी को विरोधियों के घर ले जाने की?
चचा तो जमीन के आदमी है, मंच पर नहीं चढ़े
रालोद मुखिया की सभा में भाकियू की राजनीति कर रहे जिला पंचायत सदस्य के पिता का नाम पुकारा गया कि वे मंच पर स्थान लें। लेकिन चचा ठहरे पुराने जमाने के जमीनी नेता। कहने लगे भाई हम तो जमीन वाले हैं, जमीन पर ही बैठेंगे। लोगों के लाख कहने के बावजूद चचा मंच पर नहीं पहुंचे। जूते अपने सामने उतारकर जमीन पर आगे की पंक्ति में बैठकर सभा की शोभा बढ़ाते रहे। चचा की इस अदा पर कौन न फिदा हो जाये।