Dainik Athah

मंथन

प्रियंका के बहाने सपा को कमजोर करने की कवायद तो नहीं!


लखीमपुर खीरी में किसानों, भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ ही एक पत्रकार की मौत के बाद जिस प्रकार राजनीति उफान पर आई वह किसी से छुपा हुआ तथ्य नहीं है। लेकिन जिस प्रकार प्रियंका वाड्रा के माध्यम से कांग्रेस को इस घटना का लाभ मिला उसके निहितार्थ तलाशे जा रहे हैं।

यदि सरकार चाहे तो कोई सीतापुर तो छोड़ों अपने घर से बाहर भी नहीं निकल सकता। सपा प्रमुख अखिलेश यादव इसका उदाहरण है। सरकार के निर्देश पर अखिलेश को घर से निकलते ही रोक दिया गया। इसी प्रकार शिवपाल, सतीश चंद्र मिश्रा भी लखनऊ से बाहर नहीं जा सके। प्रियंका वाड्रा को पहले हिरासत में रखा, उसके बाद गिरफ्तारी।

कांग्रेस को जब पूरा प्रचार मिल गया तब इस प्रचार में चार चांद लगाने के लिए बहन-भाई को लखीमपुर ले जाया गया। इतना ही नहीं पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिद्धू को लखीमपुर खीरी तक पहुंचाकर मौन व्रत पर बैठाया गया। आखिर यह योजना थी किसकी। क्या किसी रणनीति के तहत प्रदेश में सबसे नीचे के पायदान पर खड़ी कांग्रेस को इतनी सुर्खियां बटोरने का मौका दिया गया।

राजनीति के जानकारों का तो यहीं मानना है कि भाजपा ने रणनीति के तहत कांग्रेस में जान फूंकने का काम किया। इसके पीछे सबसे बड़ा फायदा भी भाजपा को ही मिल सकता है। कांग्रेस के वोट बैंक में कुछ इजाफा हुआ, मुस्लिम मतदाताओं पर यदि थोड़ा सा भी असर हुआ तो भाजपा की बल्ले- बल्ले।

मतलब साफ भाजपा ने सपा को झटका को देने के लिए प्रियंका वाड्रा को हवा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अन्यथा गिरफ्तार कर लखनऊ ले जाया जाता। हालांकि यह वक्त बतायेगा कांग्रेस को कितना लाभ होगा, सपा को कितना नुकसान एवं भाजपा को कितना फायदा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *