आखिर क्यों!
भारतीय जनता पार्टी ने पिछले दिनों पार्टी के अनेक जिलों के जिला प्रभारियों के कार्य क्षेत्र में बदलाव कर दिया। इसको लेकर पार्टी के छोटे कार्यकर्ता से लेकर जिम्मेदार पदाधिकारियों में मंथन चल रहा है। जिस प्रकार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आधा दर्जन से ज्यादा जिलाध्यक्षों को शिकायतों को लेकर चेतावनी दी है उसे भी जिला प्रभारियों के कार्य क्षेत्र में बदलाव से जोड़कर देखा जा रहा है। जिन जिलाध्यक्षों को चेतावनी दी है उनमें से कई जिलों के प्रभारी भी बदल दिये गये हैं। इन प्रभारियों में बदलाव का कारण कहीं पिछले दिनों हुए जिला पंचायत एवं ब्लाक प्रमुख चुनावों से तो नहीं जुड़े हैं। हालांकि सूत्र दबी जुबान में इसी तरफ इशारा कर रहे हैं। तो क्या इनमें से कुछ प्रभारियों की आर्थिक मामलों की शिकायतें थी। यदि यह सही है तो आने वाला समय भी कई अध्यक्षों के साथ ही जिला प्रभारियों के लिए अच्छा नहीं रहने वाला। भाजपा सूत्रों की मानें तो कुछ को बेहतर काम करने के लिए दूसरे जिलों में भेजा गया है तो कुछ को शिकायतों के चलते। किसी को इस कारण भी बदला गया कि उन्होंने अपनी जिम्मेदारियों को ठीक से निभाया ही नहीं। इसका उदाहरण गाजियाबाद महानगर के प्रभारी है जो क्षेत्र में कम ही आते हैं। सूत्रों पर भरोसा करें तो आने वाले दिनों में कुछ और प्रभारियों के साथ ही अध्यक्ष भी बदल सकते हैं। लेकिन इसमें गाजियाबाद जिला व महानगर नहीं है। मंच से ही अध्यक्षजी ने दोनों अध्यक्षों का नाम लेकर कहा इनकी कोई शिकायत नहीं है। इसका सीधा अर्थ तो अभयदान होता है। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि इसके बाद कुछ भी करने की छूट हो। भाजपा की तीसरी आंख हर जिले में मौजूद है। यदि इसकी चपेट में आ गये तो पत्ता कटना तय।