2022 के विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने किसान आंदोलन की धार को कुंद करने की तैयारी कर ली है। गुरुवार को मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर किसान संवाद इसी का हिस्सा था। किसान संवाद में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों की मन की बात करते हुए जिस प्रकार उनके लिए घोषणाएं की है उससे निश्चित ही कुछ हद तक किसान आंदोलन की धार कुंद अवश्य होगी। पराली जलाने पर दर्ज मुकदमें वापस लेने, गन्ना मूल्य बढ़ाने, पेराई सत्र शुरू होने से पूर्व गन्ना मूल्य का भुगतान, बिजली बिल के बकाया के कारण किसानों के बिजली कनेक्शन न काटे जाने की जो घोषणाएं की है वह किसानों के एक बड़े वर्ग को प्रभावित करेगी। बिजली बिल, गन्ना मूल्य भुगतान एवं बकाया गन्ना मूल्य आदि ऐसे बड़े मामले हैं जिसको लेकर एक तरफ जहां आंदोलनकारी किसान प्रदेश सरकार पर हमलावर है, वहीं दूसरी तरफ विपक्षी दल भी इसको लेकर लगातार सरकार पर हमलावर हो रहे थे।
गन्ना मूल्य का बकाया भुगतान एवं गन्ना मूल्य में वृद्धि न होने के कारण आम किसान भी सरकार से नाराज था। लेकिन जिस प्रकार मुख्यमंत्री ने किसान संवाद के दौरान एक के बाद एक घोषणाएं की है वह चुनाव से पहले मील का पत्थर साबित होगा। इसके चलते किसानों का एक बड़ा वर्ग आंदोलन से अलग से हो सकता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गांवों में जो भाजपा नेता आने वाले दिनों में जायेंगे उनके पास भी बोलने के लिए बहुत कुछ होगा। यह भी संभावना है कि प्रदेश सरकार आने वाले दिनों में प्रदेश की जनता के लिए कुछ और घोषणाएं कर सकती है। किसान राजनीति के जानकारों का मानना है कि इन घोषणाओं का एक बड़े वर्ग पर असर होगा।