Dainik Athah

अब नहीं सुनाई देगी बाबूजी की वह कड़क आवाज

बाबूजी अर्थात उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की वह कड़क आवाज अब नहीं सुनाई देगी। इसके साथ ही कड़े निर्णय लेने वाले कल्याण सिंह जैसा व्यक्तित्व भी आज पंचतत्व में विलीन हो गया। मैंने वह समय भी देखा है जब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहते कल्याण सिंह कई बार मोदीनगर आये थे। उस समय एक छत के ऊपर बैठक रखी गई थी। उस समय भाजपा कार्यकर्ता एवं समर्थक भी गिनती के ही हुआ करते थे। एक बार अवश्य उनके आने पर भाजपा ने रैली निकाली जिसमें एक सौ से ज्यादा स्कूटर मोटरसाइकिल एकत्र की गई एवं खुली जीप में कल्याण सिंह उस समय के एनएच 58 पर निकले। उनका वह समय भी देखा जब उनकी एक झलक पाने के लिए लोग दीवारों एवं छत पर चढ़ जाते थे। गढ़मुक्तेश्वर में राम नरेश रावत भाजपा के प्रत्याशी थे।

प्रचार में जनसभा के लिए कल्याण सिंह का कार्यक्रम तय हुआ। जब कल्याण सिंह ने मंच से दहाड़ना शुरू किया तो मैं लिखना भूलकर उनके भाषणों में खो गया। इतना ही नहीं कथित बाबरी ढांचा ढहाये जाने के बाद जब उन्होंने त्यागपत्र दिया तो जिस प्रकार उन्होंने सभाओं में कहा कि मैंने केंद्रीय गृह मंत्री शंकर राव चव्हाण को स्पष्ट बता दिया कि कार सेवकों पर गोली नहीं चलाऊंगा। किसी अधिकारी की भी कोई गलती नहीं। जो सजा देनी है मुझे दो, जो कार्रवाई करनी है मेरे खिलाफ करो। उनकी यह आवाज आज भी कानों में गूंजती है। इसके साथ ही नकल अध्यादेश लाना कोई आसान काम नहीं था। लेकिन तत्कालीन शिक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ड्राफ्ट तैयार किया और उनकी बात मानकर कल्याण सिंह ने इसे लागू कर दिया। हालांकि इसका असर अब दिखाई देता है। उप्र में भाजपा को यहां तक पहुंचाने में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। कल्याण सिंह एक ही थे उन्होंने साबित किया जो कहा वह किया। अब तो उनकी यादें ही शेष रह गई है। जो लोग भी कल्याण सिंह के करीब रहे वे उन्हें शायद ही भुला सकें। अंत में उस राम भक्त को नमन।

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