– समाजवादी पार्टी गाजियाबाद के नेताओं को नहीं दे रही तव्वजो
– जिले से राष्टीय सचिव को हापुड़ में झंडी दिखाने की सौंपी जिम्मेदारी
– कई पूर्व विधायकों को भी किया दरकिनार
अथाह संवाददाता
गाजियाबाद। लगता है कि समाजवादी पार्टी नेतृत्व का गाजियाबाद जिले के अपनी ही पार्टी के नेताओं से मोहभंग हो गया है। लगता कुछ ऐसा ही है। जिले में सपा के एकमात्र बड़े पदाधिकारी रमेश प्रजापति को हापुड़ में झंडी दिखाने भेजा गया है।
सपा प्रमुख अखिललेश यादव ने मंगलवार को प्रदेश के सभी जिलों में पांच अगस्त को होने वाली साइकिल यात्रा को झंडी दिखाने के लिए पार्टी नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी है। महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि पार्टी ने जिले से ही विधान परिषद सदस्य राकेश यादव को झंडी दिखाने के लिए कहीं नहीं भेजा। इतना ही नहीं गाजियाबाद जिले में भी झंडी दिखाने वालों में उनका नाम नहीं है। गाजियाबाद जिले में झंडी दिखाने की जिम्मेदारी पड़ोसी जिले गौतमबुद्धनगर से पार्टी के प्रवक्ता राजकुमार भाटी को भेजा जा रहा है। जिले में रहने वाले सपा के राष्टÑीय सचिव रमेश प्रजापति को झंडी दिखाने के लिए हापुड़ भेजा जा रहा है।
सपा ने प्रदेश के कई जिलों में झंडी दिखाने के लिए कई- कई नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी है। कई जिलों में पूर्व विधायक तो कई जिलों में पूर्व जिलाध्यक्ष भी झंडी दिखायेंगे। जबकि गाजियाबाद जिले में सपा के पूर्व विधायक सुरेंद्र कुमार मुन्नी, नये आये पूर्व विधायक अमरपाल शर्मा भी है। लेकिन इन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई।
बता दें कि सपा नेतृत्व जिला व महानगर के सपा अध्यक्षों की कार्य प्रणाली से पहले से ही खुश नहीं है। हालांकि दोनों ही युवा है, लेकिन उनका जिले में कोई प्रभाव नजर नहीं आता। पार्टी के पुराने कार्यकर्ता एवं मजबूत पदाधिकारी भी जिलाध्यक्ष के रवैये के चलते संगठन के कार्यक्रमों से दूर है। हालांकि जो लोग संगठन से दूर है वे अपने अपने स्तर पर पार्टी के लिए काम तो करते हैं। सूत्रों के अनुसार जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के दौरान ही जिले के सपा अध्यक्ष पर गाज गिरने वाली थी। लेकिन एक होटल के बाहर हंगामा करने के बाद उन्हें कुछ दिनों की मोहलत मिल गई। सपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि जिले की स्थिति को देखकर ही पार्टी नेतृत्व गाजियाबाद जिले को तरजीह नहीं दे रहा है। यहीं कारण है कि सपा के पिछले दिनों अनेक प्रकोष्ठों के पदाधिकारियों की नियुक्ति में भी गाजियाबाद जिले को कोई तरजीह नहीं मिली। जिला व महानगर अध्यक्ष खुद की पैरवी में ही जुटे रहते हैं। यहीं कारण है कि उनके रहते जिले के कार्यकर्ताओं को किसी भी सहयोगी संगठन में कोई जिम्मेदारी नहीं मिल रही है।