करीब चार माह के इंतजार के बाद आखिर कप्तान के तेवर नजर आने लगे हैं। ठीक ऐसे ही तेवर उन्होंने चौकी प्रभारियों की बैठक में भी दिखाये। डीआईजी/एसएसपी अमित पाठक को जिले में आये चार माह हो चुके हैं। लेकिन अब उनके प्रति लोगों की धारणा थी कि जैसे चलता है वैसा ही चलता रहेगा। ठीक चल भी पुराने ढर्रें पर रहा था। मठाधीशों में कप्तान का कोई डर लगता ही नहीं था। हां डर था तो छोटे कप्तान अर्थात एसपी ग्रामीण का। लेकिन पिछले चार दिन को देखें तो लगता है कि कप्तान ने अब बैटिंग करने की ठान ली है। सबसे पहले उन्होंने जन प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर पुलिस के संबंध में फीड बैक प्राप्त किया। इसके बाद खुद ही रात में सड़कों पर उतरना शुरू कर दिया। जब से कप्तान ने रात में बैटिंग शुरू की है तब से लगातार कार्रवाई का दौर चल रहा है। इसी कार्रवाई की जद में सोमवार की रात एक इंस्पेक्टर भी आ गये। साप्ताहि लॉक डाउन जिले में मजाक बन कर रह गया था। लेकिन जिस प्रकार कप्तान खुद सड़क पर उतरे हैं उसे देखते हुए लगता है कि आने वाले दिनों में इसका असर भी जिले की पुलिस पर नजर आयेगा।
मंगलवार को कप्तान ने छोटे कप्तानों के साथ मिलकर जिस प्रकार चौकी प्रभारियों की बैठक की एवं उसमें बढ़ती चोरियों, चौकी प्रभारियों के व्यवहार को लेकर बात कही साथ ही चौकियों में लोगों से चक्कर कटवाया जाता है तथा चौकी से थाने एवं थाने से चौकी के बीच में झुलाया जाता है उसको लेकर चेतावनी भी असर करेगी। यदि देखा जाये तो जिले में अनेक चौकी प्रभारी मठाधीश हो गये हैं। इनके पेंच भी कसने आवश्यक है। कप्तान ने सीधा संदेश दे दिया कि अच्छा काम करोगे तो पुरस्कार, खराब पर सीधे लाइन में रवानगी के लिए तैयार रहना होगा। अब चौकी प्रभारियों के काम की भी समीक्षा होगी। यह कड़ा संदेश है। देखना यह होगा कि कप्तान के तेवरों का थानों एवं चौकियों पर कितना असर पड़ता है। लेकिन शुरूआत हुई उससे नाउम्मीद नहीं होना चाहिये।