जिले में सोमवार को विभिन्न मुद्दों पर राष्टÑीय लोकदल ने प्रदर्शन किया। लेकिन यह क्या पार्टी में पदों से निलंबित किये गये 99 फीसद नेता गायब। पिछले दिनों रालोद की प्रेस वार्ता में हुए पार्टी के नेताओं में आपस में ही हुए बवाल के बाद पार्टी के मुखिया ने वहां उपस्थित सभी नेताओं को पद विहीन कर दिया। पार्टी ने कुछ दिन पूर्व ही जिला व महानगर में नये कार्यकर्ताओं की ताजपोशी की थी। लेकिन लगता है कि पार्टी के युवा राष्टÑीय अध्यक्ष का निर्णय इन नेताओं को पसंद नहीं आया। यहीं कारण है कि जिन लोगों को पदों से हटाया गया था उनमें से अधिकांश इस धरना- प्रदर्शन से गायब रहे। शायद इनका मानना यह रहा है कि जब हमें ही निलंबित करोगे तो चलवा लो नये लोगों से पार्टी। इन सबके बावजूद दोनों ही अध्यक्षों ने धरना-
प्रदर्शन में नये एवं युवाओं की खासी भीड़ जुटा दी। यह तो उन्होंने अपने बूते अथवा पार्टी से जुड़े नये लोगों के बल पर कर दिखाया। लेकिन निलंबित नेताओं की इस प्रकार पार्टी कार्यक्रम से दूरी बनाना सभी को खटक रहा है। जिस प्रकार इन्होंने दूरी बनाई वह पार्टी नेतृत्व को चुनौती के रूप में भी देखा जा सकता है। लेकिन जिस प्रकार की सख्ती जयंत चौधरी ने पार्टी नेताओं की अनुशासनहीनता के प्रति दिखाई वह इनके लिए भविष्य में परेशानी बढ़ा सकती है। अब तो रालोद में भी यह खुलेआम देखा जा रहा है कि पार्टी नेतृत्व के आदेश- निर्देश ठेंगे पर रखे जहा रहे हैं। पार्टी के ही लोग पूछ रहे हैं कि पदोें से ही निलंबित किये गये थे, पार्टी में तो थे लेकिन फिर भी …।