Dainik Athah

80 करोड़ गरीबों को दिवाली तक मुफ्त अनाज: पीएम मोदी

दो बड़े ऐलान: 18 साल से बड़ों को अब केंद्र देगा मुफ्त वैक्सीन

अथाह ब्यूरो

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राष्ट्र को संबोधित किया। 32 मिनट के इस संबोधन में उन्होंने दो बड़े ऐलान किए। पहला कि सभी राज्यों को अब केंद्र की ओर से मुफ्त वैक्सीन दी जाएगी। राज्यों को अब इसके लिए कुछ खर्च नहीं करना पड़ेगा। दूसरा कि देश के 80 करोड़ गरीब लोगों को नवंबर यानी दिवाली तक मुफ्त राशन दिया जाएगा।

18 साल से ऊपर के लोगों को केंद्र की ओर से मुफ्त वैक्सीन लगेगी: एक अच्छी बात रही कि समय रहते राज्य पुनर्विचार की मांग के साथ फिर आगे आए। राज्यों की इस मांग पर हमने भी सोचा कि देशवासियों को तकलीफ न हो। सुचारु रूप से उनका वैक्सीनेशन हो। इसके लिए 16 जनवरी से अप्रैल अंत वाली व्यवस्था को फिर लागू किया जाए। आज ये फैसला लिया गया है कि राज्यों के पास वैक्सीनेशन से जुड़ा जो 25% काम था, उसकी जिम्मेदारी भारत सरकार उठाएगी। ये व्यवस्था दो हफ्ते में लागू की जाएगी। नवंबर तक 80 करोड़ गरीबों को मुफ्त अनाजदेशवासियों टीकाकरण के अलावा आज एक और बड़े फैसले से अवगत कराना चाहता हूं।

पिछले साल जब लॉकडाउन लगाना पड़ा तो प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 80 करोड़ देशवासियों को 8 महीने तक मुफ्त राशन दिया गया। दूसरी वेव के कारण मई और जून के लिए भी ये योजना बढ़ाई गई। आज सरकार ने फैसला लिया है कि इस योजना को अब दीपावली तक आगे बढ़ाया जाएगा। सरकार गरीब की हर जरूरत के साथ उसका साथी बनी है। नवंबर तक 80 करोड़ गरीबों को तय मात्रा में मुफ्त अनाज उपलब्ध होगा।

मेरे किसी भी गरीब भाई-बहन को, उसके परिवार को भूखा नहीं सोना पड़ेगा।अप्रैल और मई के महीने में आक्सीजन की डिमांड अकल्पनीय रूप से बढ़ गई। भारत में कभी भी इतनी मात्रा में इतनी आक्सीजन की जरूरत महसूस नहीं की गई। इस जरूरत को पूरा करने केलिए युद्ध स्तर पर काम किया गया। सरकार के सभी तंत्र लगे। आॅक्सीजन रेल, एयरफोर्स, नौसेना को लगाया गया।लिक्विड आक्सीजन के प्रोडक्शन में 10 गुना ज्यादा बढ़ोतरी बहुत कम समय में हो गई। दुनिया के हर कोने से जो उपलब्ध हो सकता था, उसे लाया गया। जरूरी दवाओं के प्रोडक्शन को कई गुना बढ़ाया गया। विदेशों में जहां भी दवाइयां उपलब्ध हों, वहां से उन्हें लाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी गई। कोरोना जैसे अदृश्य और रूप बदलने वाले दुश्मन के खिलाफ लड़ाई में सबसे प्रभावी हथियार कोविड प्रोटोकॉल है।वैक्सीन सुरक्षा कवच की तरह: लड़ाई में वैक्सीन सुरक्षा कवच की तरह है।

पूरी दुनिया में वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां गिनी-चुनी हैं। अभी हमारे पास भारत में बनी वैक्सीन नहीं होती तो भारत जैसे विशाल देश में क्या होता। पिछले 50-60 साल का इतिहास देखेंगे तो पता चलेगा कि भारत को विदेशों से वैक्सीन हासिल करने में दशकों लग जाते थे। वैक्सीन का काम पूरा हो जाता था, तब भी हमारे देश में वैक्सीनेशन का काम शुरू नहीं हो पाता था। पोलियो, स्मॉल पॉक्स, हैपेटाइटिस बी की वैक्सीन के लिए देशवासियों ने दशकों तक इंतजार किया था।आगे बढ़ रहे थे कि कोरोना ने घेर लियाहमने 5-7 साल में ही वैक्सीनेशन कवरेज 60% से बढ़ाकर 90% तक पहुंचा दिया। हमने वैक्सीनेशन की स्पीड और दायरा दोनों बढ़ा दिया। बच्चों को कई जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए कई नए टीकों को अभियान का हिस्सा बनाया। हमें हमारे देश के बच्चों की चिंता थी, गरीब की चिंता थी, गरीब के बच्चों की चिंता थी, जिन्हें कभी टीका लग ही नहीं पाया। हम सही तरह से आगे बढ़ रहे थे कि कोरोना वायरस ने हमें घेर लिया।

देश ही नहीं दुनिया के सामने फिर पुरानी आशंकाएं घिरने लगीं कि भारत कैसे इतनी बड़ी आबादी को बचा पाएगा। जब नीयत साफ होती है और नीति स्पष्ट होती है और निरंतर परिश्रम होता है तो नतीजे भी मिलते हैं। हर आशंका को दरकिनार करके भारत में एक साल के भीतर ही एक नहीं बल्कि दो मेड इन इंडिया वैक्सीन लॉन्च कर दी।वैज्ञानिकों ने दिखा दिया कि भारत किसी से पीछे नहींहमारे देश के वैज्ञानिकों ने ये दिखा दिया कि भारत बड़े-बड़े देशों से पीछे नहीं है। आज जब बात कर रहा हूं तो देश में 23 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन डोज दी जा चुकी है। हमारे यहां कहा जाता है कि विश्वासेन सिद्धि यानी हमारे प्रयासों से सफलता तब मिलती है जब हमें स्वयं पर विश्वास होता है। हमें पूरा विश्वास था कि हमारे वैज्ञानिक बहुत ही कम समय में वैक्सीन बनाने में सफलता हासिल कर लेंगे।

इसी विश्वास के चलते जब हमारे वैज्ञानिक अपना रिसर्च वर्क कर रहे थे, तभी हमने तैयारियां कर ली थीं।आने वाले दिनों में वैक्सीन की सप्लाई बढ़ने वाली हैपिछले साल अप्रैल में जब कोरोना के कुछ हजार केस थे, तभी हमने वैक्सीन टास्क फोर्स का गठन कर दिया था। भारत के लिए वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों को हर तरह से सपोर्ट किया। वैक्सीन निमार्ताओं को क्लीनिकल ट्रायल में मदद की गई। रिसर्च और डेवलपमेंट के लिए जरूरी फंड दिया गया। हर स्तर पर सरकार उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चली।

आत्मनिर्भर पैकेज के तहत मिशन कोविड सुरक्षा के जरिए हजारों करोड़ रुपए उपलब्ध कराए गए। पिछले कई समय से देश जो लगातार प्रयास कर रहा है, उससे आने वाले दिनों में वैक्सीन की सप्लाई बढ़ने वाली है।इतने कम समय में वैक्सीन बनाना बहुत बड़ी उपलब्धिदेश में 7 कंपनियां अलग-अलग वैक्सीन का प्रोडक्शन कर रही हैं, ट्रायल कर रही हैं, दूसरे देशों से भी इस प्रक्रिया को तेज करने का प्रयास किया गया है। कुछ एक्सपर्ट ने बच्चों को लेकर चिंता जाहिर की है। इस दिशा में भी दो वैक्सीन का ट्रायल तेजी से चल रहा है। देश में नेजल वैक्सीन पर भी रिसर्च जारी है। देश में अगर निकट भविष्य में इस वैक्सीन में सफलता मिलती है तो वैक्सीन अभियान में और ज्यादा तेजी आएगी। इतने कम समय में वैक्सीन बनाना अपने आप में पूरी मानवता के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है।

इसकी अपनी सीमाएं भी हैं।वैक्सीन से लाखों देशवासियों का जीवन बचा पाएकेंद्र ने राज्यों और सांसदों से मिले सुझावों के लिहाज से तय किया कि कोरोना से जिन्हें ज्यादा खतरा है, उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी। ऐसे में फ्रंट लाइन वर्कर्स और हेल्थ वर्कर्स के अलावा 60 और 45 साल से ऊपर के नागरिकों को वैक्सीन लगाई गई। अगर कोरोना की दूसरी वेव से पहले फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन न लगी होती तो क्या होता। अस्पतालों के सफाई कर्मियों, एंबुलेंस के ड्राइवर को वैक्सीन न लगती तो क्या होता। ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगने से ही लाखों देशवासियों का जीवन बचा पाए हैं।राज्यों को गाइडलाइंस दीं ताकि वे सहूलियत से काम कर सकेंदेश में कोरोना के कम होते मामलों के बीच केंद्र के सामने अलग सुझाव भी आने लगे। मांगें उठने लगीं। पूछा जाने लगा कि सबकुछ भारत सरकार ही क्यों नहीं तय कर रही। राज्य सरकारों को छूट क्यों नहीं दी जा रही। लॉकडाउन की छूट राज्य सरकारों को क्यों नहीं मिल रही है। वन साइज डज नॉट फिट फॉर आॅल की दलील दी गई। कहा गया कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है इसलिए इस दिशा में शुरूआत की गई।

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