2022 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर क्या ब्यूरोक्रेसी में बड़ा बदलाव हो सकता है। बता दें कि संगठन एवं सरकार में बड़े बदलाव की भूमिका बनने से पूर्व ही भाजपा नेतृत्व एकाएक ठिठक सा गया है। इसका कारण मुख्य रूप से जल्द होने वाले जिला पंचायत अध्यक्ष एवं ब्लाक प्रमुखों के चुनाव को माना जा रहा है। भाजपा व प्रदेश सरकार इन पदों पर बड़ी जीत हासिल कर पंचायत चुनाव में हार के बाद उठ रही आग की लपटों पर पानी डालने का प्रयास करेगी। चूंकि भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष जो कि पार्टी में संघ का प्रतिनिधित्व करते हैं के मंथन के बाद पूरा ठीकरा अफसरशाही पर फोड़ा जा सकता है। कुछ बड़े अफसरों को चिन्हित भी किया गया है। इसके साथ ही जिलों में काबिज कलेक्टर एवं कप्तानों को लेकर भी शिकायतें हुई है।
अंदर से छनकर आ रहा है कि वे अफसर जो न तो संगठन को भाव देते हैं तथा न ही जन प्रतिनिधियों को। वो किसके आशीर्वाद से इतने ताकतवर है इसका खुलासा भी बीएल के समक्ष करने के बाद जनप्रतिनिधियों को भी कुछ संतोष हुआ है। अफसरों को ताश के पत्तों की मानिंद फैंटे जाने से पूर्व उनके अब तक पूरे क्रिया कलापों पर भी प्रदेश की राजधानी में बैठे कद्दावर लोग मंंथन करेंगे। इसके लिए जिलों से फीडबैक लिया जाना है।
इतना ही नहीं जन प्रतिनिधियों की राय भी इस बार ली जायेगी। संगठन के शीर्ष नेतृत्व का मानना है कि पहले अफसरों को ठीक कर लिया जाये। इसके बाद आगे की सोची जायेगी। अब अफसरों की परीक्षा जिला पंचायत अध्यक्षों एवं ब्लाक प्रमुख चुनावों में भी ली जायेगी। वह इसलिए कि उनका कितना सहयोग संगठन को मिलता है। कील कांटे दुरुस्त करने का समय अब आता जा रहा है। सरकार एवं संगठन को तरजीह देने वालों को ही महत्वपूर्ण तैनाती भी मिलेगी इसमें शक करने का कोई कारण नहीं है। अब होने वाले बड़े बदलाव के सहारे ही भाजपा को 2022 में जो 2017 को दोहराना है।