दक्षिण में पैर पसारने की भी है भाजपा की रणनीति
हैदराबाद में जीते तो पश्चिमी बंगाल तक होगा लाभ
अशोक ओझा, नई दिल्ली। तेलंगाना की राजधानी एवं प्रमुख शहर हैदराबाद में केंद्र में भारतीय जनता पार्टी अपनी पूरी ताकत झोंक रही है। भाजपा के अधिकांश स्टार प्रचारकों ने डेरा डाला हुआ है। इसे देखकर लगता है कि हैदराबाद के माध्यम से भाजपा नयी रणनीति पर काम कर रही है। भाजपा एक तीर से कई निशाने साधने की इच्छुक है। यदि ऐसा नहीं होता तो भाजपा अपने अधिकांश स्टार प्रचारकों को स्थानीय निकाय जैसे छोटे चुनावों में नहीं धकेलती।
तेलंगाना के हैदराबाद नगर निगम चुनावों में भाजपा ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने जहां हैदराबाद में डेरा डाला हुआ है, वहीं दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, स्मृति ईरानी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जहां प्रचार करने पहुंचे वहीं शनिवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रचार किया एवं जमकर भीड़ जुटाई। इसके बाद रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह चुनाव प्रचार के लिए हैदराबाद पहुंचे। इससे यह स्पष्ट है कि भाजपा किसी भी तरह से हैदराबाद में एआईएमआईएम मुखिया असदुद्दीन औवेसी के गढ़ को भेदना चाहती है। इसके साथ ही उसकी नजर हैदराबाद के बाद तेलंगाना एवं दक्षिण भारत में पैर जमाने की है।
बात केवल यहीं तक नहीं है कि भाजपा एआईएमआईएम मुखिया औवेसी के साथ ही बार बार विपक्ष को एकजुट करने का प्रयास कर रहे टीआरएस (तेलंगाना राष्ट्र समिति) के अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव को भी सबक सिखाना चाहती है। इतना ही नहीं कर्नाटक को छोड़ दें तो भाजपा की स्थिति दक्षिण में अच्छी नहीं है। लेकिन हैदराबाद चुनावों के माध्यम से भाजपा अपनी प्रतिद्वंदी कांग्रेस को भी सबक सिखाना चाहती है। वर्तमान स्थिति को देखा जाये तो हैदराबाद नगर निगम के चुनावों में भाजपा, टीआरएस एवं एआईएमआईएम के बीच ही मुख्य मुकाबला नजर आ रहा है। कांग्रेस चुनाव से करीब करीब बाहर हो गई है। कांग्रेस के बाहर होने से ही भाजपा को ज्यादा लाभ होने की उम्मीद दिख रही है।
एआईएमआईएम से भाजपा की बी टीम का ठप्पा भी हट जायेगा
हैदराबाद नगर निगम के चुनावों में जिस प्रकार भाजपा एआईएमआईएम एवं उसके मुखिया असुदुद्दीन औवेसी पर हमला कर रही है तथा औवेसी भी भाजपा को निशाने पर रख रहे हैं उसे देखकर यह लगता है कि भाजपा विरोधी दल जिस प्रकार औवेसी को भाजपा की बी टीम प्रचारित कर रहे हैं यह ठप्पा भी औवेसी एवं उनकी पार्टी से हट जायेगा। यह सर्व विदित है कि औवेसी एवं एआईएमआईएम ने ही बिहार में भाजपा एवं जदयू का रास्ता साफ किया। एआईएमआईएम ने बिहार में पांच सीटें जीती तथा आठ सीटें राजद को हरवाने में वह सफल रही। हालांकि लोक जन शक्ति पार्टी ने भी राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन को ही नुकसान पहुंंचाया। इसका लाभ भी राजद को ही मिला।
पश्चिमी बंगाल में भाजपा को मिल सकता है लाभ
यदि हैदराबाद में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन औवेसी से भाजपा की बी टीम का ठप्पा हट जाता है तो भाजपा के लिए पश्चिमी बंगाल की राह पहले से ज्यादा आसान हो सकती है। एक तो हिंदुत्व के रथ पर सवार होकर भाजपा बंगाल पहुंचेगी, दूसरी तरफ एआईएमआईएम मुखिया औवेसी भाजपा के खिलाफ ज्यादा जहर उगलेंगे। इसका सीधा नुकसान तृण मूल कांग्रेस एवं उसकी प्रमुख ममता बनर्जी को होना तय है।