Dainik Athah

सच्चे प्यार के लिए समर्पण चाहिए , जिहाद नहीं

कृष्ण मोहन झा

लेखक IFWJ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और डिज़ियाना मीडिया समूह के सलाहकार हैं

देश में इस समय लव जिहाद का मुद्दा गरमाया हुआ है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य में लव जिहाद के दायरे में आने वाली घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए बाकायदा एक अध्यादेश के जरिए लव जिहादियों को खबरदार कर दिया है कि अब राज्य में इस तरह की घटनाएं कतई बर्दाश्त नहीं की जाएंगी और ऐसी कोई भी घटना सामने आने पर आरोपियों को जेल के सीखचों के पीछे भेज दिया जाएगा। समाज विरोधी तत्वों के विरूद्ध कठोरतम कार्रवाई में कोई संकोच नहीं करने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ देश  में ऐसे पहले मुख्यमंत्री बन गए  हैं जिनकी सरकार ने लव जिहाद की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए इस तरह का कठोर अध्यादेश जारीकिया है जिसमें अपराधियों को कानून की खामियों का फायदा उठाकर बच निकलने की कोई गुंजाइश नहीं है।

मध्यप्रदेश के  शिवराज मंत्रिमंडल ने लव जिहादियों को दंडित करने की मंशा से तैयार किए गए उस विधेयक के प्रारूप को मंजूरी दे दी है जो राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र में सदन की मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा। देश के भाजपा शासित कुछ और राज्यों की सरकारें भी लव जिहाद पर अंकुश लगाने के लिए कानून बनाने की घोषणा कर चुकी हैं यद्यपि गैर भाजपा शासित राज्यों की किसी भी सरकार ने अभी तक ऐसी कोई घोषणा नहीं की है। यह निःसंदेह आश्चर्यजनक है कि लव जिहाद के दायरे में आने वाली घटनाओं को गंभीरता से लेने के बजाय कुछ विपक्षी दलों को यह मानने में भी दिक्कत हो रही है कि लव जिहाद नाम की कोई चीज भी होती है।यह आश्चर्य तब और भी बढ़ जाता है जब लव जिहाद विरोधी पहल में उन्हें साम्प्रदायिकता नजर आने लगती है।उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने जो अध्यादेश जारी किया है उसे’ उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिवेध अध्यादेश-2020 ‘नाम दिया गया है जबकि मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार ने लव जिहाद विरोधी  विधेयक के प्रारूप को मंजूरी दी है उसे ‘धर्म स्वातंत्र्य विधेयक –2020’नाम दिया गया है। अब इस प्रारूप को परीक्षण हेतु राज्य सरकार के विधि विभाग को भेजा जा रहा है।

शिवराज सरकार के गृह मंत्री डा नरोत्तम मिश्र कहते हैं कि सरकार इस विधेयक को राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पारित कराने के लिए कृत संकल्प है। गौरतलब है कि नरोत्तम मिश्र ने इस विधेयक के प्रारूप को जल्द से जल्द तैयार कराने के लिए  सक्रिय पहल की है। राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगभग एक सप्ताह पूर्व  जब सपरिवार  तिरुपति प्रवास पर गए  हुए तभी राजधानी भोपाल में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने राज्य में लव जिहाद  विरोधी सख्त कानून बनाए जाने की घोषणा कर दी थी । उनकी इस घोषणा का राज्य में व्यापक तौर पर स्वागत किया गया था और जनता इस बात को लेकर उत्सुक थी कि क्या मध्यप्रदेश लव जिहाद के विरुद्ध कठोर कानून बनाने वाला देश का पहला राज्य बनने जा रहा है । ऐसा प्रतीत होता है कि मध्यप्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा की घोषणा ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस मामले में आगे निकल जाने के लिए प्रेरित कर दिया । उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की त्रिदिवसीय बैठक के पहले ही दिन संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भेंट को इस पूरे मामले में विशेष महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है।

गौरतलब है कि संघ प्रमुख मोहन भागवत देश में लव जिहाद की बढ़ती घटनाओं पर क‌ई बार गहरी चिंता व्यक्त कर चुके हैं और ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाने के कानून बनाने पर जोर दे चुके हैं। उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश राज्यों की सरकारें लव जिहादियों और इस काम में उन्हें मदद करने वालोें के लिए कठोर सजा के प्रावधान वाला जो कानून बनाने के लिए आगे आईं हैं वह देश के दूसरे राज्यों की सरकारों के आदर्श बन सकता है।पिछले कुछ वर्षों में उत्तर प्रदेश में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जहां विवाह के लिए अथवा विवाह के बाद लड़की को ससुराल पक्ष के द्वारा न केवल धर्मपरिवर्तन के लिए  विवश किया गया बल्कि ससुराल में उन्हें कथित रूप से अमानवीय यातनाओं का शिकार भी बनाया गया। की मामले ऐसे थे जिनमें शादी के कुछ समय में ही उन्हें  पति ने त्याग दिया और जीवन भर की पीड़ा सहने के लिए मजबूर कर दिया।

इन घटनाओं की गहराई से जांच करने पर यही नतीजा सामने आया कि लड़की को डरा धमकाकर, फुसलाकर अथवा प्रलोभन देकर उस पर शादी के लिए दबाव बनाया गया जिसका असली मकसद लड़की को धर्मपरिवर्तन के लिए विवश करना था। आश्चर्यजनक बात यह है कि ऐसे मामलों में विवाह के लिए अथवा विवाह के बाद  लड़की को ही धर्म परिवर्तन करने के लिए विवश होना पड़ा। सवाल यह उठता है कि क्या धर्म परिवर्तन के बिना दाम्पत्य जीवन को सुखमय नहीं बनाया जा सकता। जो विवाह लड़की को कठोर शर्तें मानने के लिए विवश कर दे उसमें प्रेम और समर्पण की कल्पना कैसे की जा सकती है और यदि दांपत्य-जीवन में एक दूसरे के प्रति प्रेम और समर्पण नहीं है तो तो यह सवाल तो स्वाभाविक है कि ऐसा कोई भी विवाह आखिर किस मकसद से किया गया है। समाज में ऐसे भी अनेक उदाहरण मिल जाएंगे  जहां पति  पत्नी का धर्म अलग अलग होने के बावजूद दोनों का एक दूसरे के प्रति अनूठा प्रेम और समर्पण ही उनके सुखमय दाम्पत्य जीवन का आधार बना हुआ है। दोनों अपने अपने धार्मिक रीति रिवाजों का पालन करते हुए  संपूर्ण समाज के लिए आदर्श बने हुए हैं। इसलिए इस तर्क को कदापि स्वीकार नहीं किया जा सकता कि सुखी दाम्पत्य के लिए लड़की का धर्म परिवर्तन अनिवार्य है।

यहां यह बात विशेष उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा हाल में ही जारी किए गए अध्यादेश और मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार के प्रस्तावित विधेयक के प्रारूप में अंतर्धार्मिक  विवाहों को प्रतिबंधित करने की कोई मंशा नहीं है। दोनों सरकारों ने  केवल धर्म परिवर्तन के लिए किए जाने वाले विवाहों को रोकने की इच्छा शक्ति प्रदर्शित की है जिसके लिए वे सराहना की हकदार हैं।प्यार का दिखावा कर के,डरा धमकाकर अथवा बहला-फुसलाकर किसी लड़की को शादी के लिए राजी करना और शादी के लिए या शादी के बाद उसे ससुराल का धर्म स्वीकार करने के लिये विवश करने की घटनाएं सबसे पहले  1990 के दशक के उत्तरार्ध में सामने आई थीं । 1996में केरल में इसी तरह 4000ईसाई लड़कियों के बरबस  धर्म परिवर्तन कराए जाने के पीछे  कथित रूप से कुछ मुस्लिम संगठनों का साथ होने के आरोप लगाए गए थे ।

केरल के ही एक पूर्व मुख्यमंत्री ने तो यह आशंका तक  व्यक्त कर दी थी कि शादी के बहाने से केरल में ईसाई आबादी को कम करने का एक सुनियोजित खेल चल रहा है। इस तरह की घटनाओं का सिलसिला कभी पूरी तरह से नहीं थमा और जब ऐसा महसूस किया जाने लगा कि ये घटनाएं किसी सोचे समझे अनैतिक अभियान के रूप में सामने आ रही हैं तब इसे लव जिहाद का नाम दिया गया। उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में मन मस्तिष्क को झकझोर देने वाले ऐसे कई मामले सामने आए हैं। विगत दिनों में हरियाणा में भी एक तरफा प्यार में पागल एक मुस्लिम युवक ने अपने साथी की मदद से ‌ एक लड़की की हत्या इसलिए कर दी थी क्योंकि उसे सिरफिरे युवक से विवाह करना गवारा नहीं थी। आश्चर्यजनक बात तो यह थी कि उक्त युवक के परिवार जनों ने ‌ युवक की इस घोर आपराधिक करतूत को मामूली सी भूल बताने में कोई संकोच नहीं किया। यह निःसंदेह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जो लोग आज लव जिहाद के विरुद्ध कठोर कानून बनाने के लिए  उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सरकारों की आलोचना कर रहे हैं उन लोगों ने हरियाणा जैसी क्रूर  घटनाओं की निंदा करने में कभी तत्परता नहीं दिखाई।

सवाल यह उठता है कि जिस समाज,वर्ग अथवा समुदाय के युवक  किसी दूसरे समुदाय अथवा वर्ग की लड़की को बहला फुसलाकर अथवा डरा धमकाकर उससे शादी का नाटक करते हैं और फिर उसे शारीरिक , मानसिक यातना देकर उसे धर्म परिवर्तन के लिए विवश करते हैं तो क्या उस समाज के प्रतिनिधियों को ऐसे कृत्य की उसकी निंदा  नहीं करना चाहिए। यहां मैं इस बात का उल्लेख अवश्य करना चाहूंगा कि हमारे देश के अनेक राजनीतिक दलों के कुछ प्रमुख नेताओं अथवा परिवार के सदस्यों ने दूसरे धर्म अथवा  समुदाय में विवाह किया है और उनका दांपत्य जीवन खुशहाल रहा है। पत्नी और पति का धर्म अलग अलग होना कभी उनके सुखी दाम्पत्य जीवन में अवरोध अथवा विरोध का कारण नहीं बना।वे निसंदेह संपूर्ण समाज के लिए आदर्श दंपति के रूप में विशिष्ट उदाहरण बने हुए हैं। उनसे यह अपेक्षा गलत नहीं होगी कि वे स्वयं आगे आकर  लव जिहादियों को यह समझाएं कि विवाह एक पवित्र संस्था है जिसका आधार  एक दूसरे के प्रति निश्छल प्रेम और संपूर्ण समर्पण है|

लव जिहाद के जो नित नए मामले सामने आ रहे हैं उन्हें  मौलिक स्वतंत्रता का विषय बताकर उनकी उपेक्षा कर देना बहुत बड़ी भूल साबित हो सकता है। इसमें कोई दो मत नहीं हो सकते कि संविधान में हर व्यक्ति को  अपने धर्म से भी बाहर जाकर अपनी पसंद का जीवन साथी चुनने का अधिकार मिला हुआ है।  1954 का स्पेशल मैरिज एक्ट हर युवक युवती को अपनी मर्जी से जीवन साथी चुनने का अधिकार देता है। इस मैरिज एक्ट में ऐसा कोई बंधन नहीं है कि एक धर्म के युवक युवती को किसी दूसरे धर्म में शादी करने के लिए अथवा शादी करने के बाद धर्म परिवर्तन करना अनिवार्य होगा। सवाल यह उठता है कि अंतर्धार्मिक विवाह के बाद लड़की पर धर्म परिवर्तन की शर्त क्यो थोप दी जाती है और अगर वह इस शर्त को मानने से इंकार कर दें तो उसे नारकीय यातनाएं भोगने के लिए विवश कर दिया जाता है ।

अंतिम हथियार तलाक तो है ही। जानबूझकर किसी लड़की का धर्म परिवर्तन कराने के लिए उसके साथ प्यार का दिखावा करके उससे शादी रचाना लव जिहाद का ही एक रूप है । और इस लव जिहाद के ख़तरों को पहचानने का वक्त आ चुका है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लव जिहाद को रोकने के लिए सतत अभियान की शुरुआत कर दी है । वे इस पहल के लिए सराहना के पात्र हैं परन्तु इसी कड़ी में मध्यप्रदेश के गृह मंत्री डाॅ नरोत्तम मिश्र का नाम प्रमुखता से लिया जाना चाहिए जिन्होंने पूरी निर्भीकता के साथ  राज्य में  लव जिहाद विरोधी कानून बनाने का संकल्प व्यक्त करने में कोई संकोच नहीं किया। शायद अपनी  इसी स्वभावगत विशेषता के कारण  ही उन्होंने rss(संघ) मे  गहरी पैठ बनाई है साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के सबसे विश्वसनीय मंत्री होने का गौरव भी अर्जित किया है ।

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