यूएई(Abu Dhabi) के पहले हिंदू मंदिर की फाइनल डिजाइन की तस्वीरें जारी, गुजरात और राजस्थान में तराशे जा रहे पत्थर
अथाह ब्यूरो नई दिल्ली। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राजधानी Abu Dhabi में बन रहे पहले हिंदू मंदिर के डिजाइन की तस्वीरें जारी कर दी गई हैं। तस्वीरों में हिंदू महाकाव्यों, धर्मग्रंथों, प्राचीन कथाओं और खाड़ी देशों में लोकप्रिय रूपांकनों के दृश्य मंदिर के अग्रभाग को सुशोभित करेंगे। Abu Dhabi स्थित भारतीय दूतावास के ऑफिशियल टिवटर हैंडल से जानकारी दी गई है। दूतावास ने भारत में आकार लेती Abu Dhabi के पहले हिंदू मंदिर की जटिल नक्काशी कैप्शन से ट्वीट किया है।
Abu Dhabi में हिंदू मंदिर निर्माण की संस्था बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) के प्रबंधन ने मंदिर की फाइनल डिजाइन और हाथ से नक्काशीदार पत्थर के स्तंभों की पहली छवियां जारी की हैं। 4 मिनट 19 सेंकड का एक वीडियो भी जारी किया गया है, जिसमें मंदिर की नींव रखने से लेकर अब तक हुए निर्माण की तस्वीरें देखी जा सकती हैं।
बीएपीएस के प्रवक्ता अशोक कोटेचा ने कहा कि यह पहली बार है, जब अंतिम डिजाइन के दृश्य वीडियो के माध्यम से जारी किए गए हैं। ऐतिहासिक मंदिर का काम भारतीय समुदाय के समर्थन, भारत और यूएई के नेतृत्व व मार्गदर्शन के साथ आगे बढ़ रहा है। पत्थरों पर नक्काशी का काम भारत में लगातार जारी है। मंदिर में लगने वाले संगमरमर इटली के तो बलुआ पत्थर राजस्थान का है। कारीगरों ने राजस्थान और गुजरात में विभिन्न स्थानों पर 25000 क्यूबिक फीट पत्थर की नक्काशी की है।
पिछले महीने यूएई के विदेश मामलों व अंतरराष्ट्रीय सहयोग मंत्री और भारत के राजदूत पवन कपूर ने मंदिर निर्माण की प्रगति की समीक्षा के लिए वहां का दौरा किया था। इस दौरान दोनों ने मंदिर के निर्माण का कार्य देख रही संस्था बीएपीएस के सदस्यों से मुलाकात भी की थी।
मोदी ने रखी थी मंदिर की आधारशिला
यूएई सरकार ने वर्ष 2015 मंदिर बनाने का ऐलान उस समय किया था, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूएई के दो दिवसीय दौरे पर थे। सरकार ने Abu Dhabi में अल वाकबा नाम की जगह पर बीएपीएस को 20,000 वर्गमीटर की जमीन दी थी, जो मुख्य शहर Abu Dhabi से 30 मिनट की दूरी पर है। मंदिर की आधारशिला वर्ष 2018 में पीएम मोदी ने अपने दो दिवसीय दुबई दौरे के दौरान वहां के ओपेरा हाउस में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए रखी थी। यूएई में 26 लाख भारतीय रहते हैं, जो वहां की आबादी का लगभग 30% हैं।