अथाह ब्यूरो
नयी दिल्ली। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व मुख्यमंत्री एवं सांसद अखिलेश यादव ने कहा है कि चुनाव सुधार तभी संभव है जब चुनाव निष्पक्ष होंगे। चुनाव सुधार के लिए चुनाव आयोग की नियुक्ति का तरीका बदला जाय। चुनाव आयोग की नियुक्ति निष्पक्ष और पारदर्शी हो। आयोग की नियुक्ति की जो व्यवस्था पहले थी भाजपा सरकार ने उसे बदल दिया। विपक्ष को लगना चाहिए कि नियुक्ति में उसकी भी भूमिका है। इसके साथ ही चुनाव बैलेट पेपर से होना चाहिए। ईवीएम से चुनाव पर बहुत सवाल उठ रहे हैं। भारत ही नहीं पूरी दुनिया के अन्दर इलेक्ट्रानिक चीजों पर सवाल उठ रहे हैं। जो टेक्नालॉजी की बात कर रहे है वे भारत और जर्मनी, भारत और अमेरिका, भारत और जापान की तुलना कर लें, पता चल जायेगा कि हम कहां खड़े हैं। कई सम्पन्न देश जो तकनीक में भारत से कई गुना आगे हैं, अगर वे ईवीएम को नहीं स्वीकार कर रहें हैं तो यहां ईवीएम से वोटिंग क्यों हो रही है? जर्मनी जैसे देश में ईवीएम से वोटिंग असंवैधानिक माना जाता है। वहां बैलेट से वोट पड़ता है। हमारी मांग है कि बैलेट से मतदान हो।
मंगलवार को संसद में चुनाव सुधार पर चर्चा में भाग लेते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि बात रिफार्म की हो रही है। आखिर ये बात क्यों आई? जब कोई चीज अपने मूल स्वरूप में होती है तो उसे फार्म कहा जाता है। जब वह मूल फार्म खो जाती है तो डि फार्म कहा जाता है। उसी चीज को मूल फार्म में लाने का प्रयास रिफार्म होता है। उन्होंने कहा कि आज चुनाव सुधार की जरूरत क्यों पड़ी? हमारी चुनावी प्रक्रिया को खराब किसने किया? यहां चुनावी प्रक्रिया बाहर के लोगों ने नहीं अंदर के लोगों ने खराब की है।
यादव ने कहा कि चुनाव के दौरान खातों में पैसा देकर प्रभावित किया जा रहा है। बिहार में 10 हजार रूपया दिया गया। एक तरफ भाजपा पैसा देती है वहीं दूसरी तरफ अगर विपक्षी दल की सरकार कोई नीति लागू करती है तो भाजपा उस पर रोक लगवाती है। उन्होंने कहा कि चुनाव में मीडिया की भूमिका तय होनी चाहिए। चुनाव के समय पर सभी राजनीतिक दलों का मीडिया में बराबर स्थान नहीं मिलेगा तो चुनाव निष्पक्ष नहीं होगा। सरकारी हो या निजी मीडिया सभी दलों को बराबर स्पेस मिलना चाहिए। इधर देखा जा रहा है कि सोषल मीडिया में दूसरों की छवि खराब करने के लिए पैसा खर्च किया जा रहा है। भाजपा के हजारों लोगों को लगाकर हजारों करोड़ रूपया नकारात्मक कैम्पेन के लिए खर्च करती है। भाजपा चुनाव में सोशल मीडिया पर निगेटिव प्रचार कराती है। इसी तरह से इलेक्ट्रोरल बांड का सबसे ज्यादा पैसा भाजपा को मिलता है। सबसे ज्यादा चुनाव खर्चा भाजपा के पास होता है। इलेक्ट्रोरल बांड का खेल सबको दिखाई दे रहा है। चुनाव आयोग इसमें सुधार लाए।
अखिलेश यादव ने कहा कि एसआईआर को लेकर बीएलओ पर भारी दबाव है। उत्तर प्रदेश में 9 बीएलओ की जान चली गयी है। उन पर काम का बोझ था। अधिकारी दबाव बना रहे हैं। चुनाव आयोग ने कहा कि बीएलओ को टेज्निंग दी गयी है लेकिन एक भी टेज्निंग नहीं दी गयी। जो बीएलओ लगाए गये हैं उनका पूरा परिवार फार्म भरवाने में लगा है। उत्तर प्रदेश में जिन नौ बीएलओ की मौत हुई है। समाजवादी पार्टी ने उनके परिवार को दो लाख रुपए से मदद की है। हमारी मांग है कि चुनाव आयोग एक-एक करोड़ रुपए से मदद करे और सरकारी नौकरी दे।
यादव ने कहा कि चुनाव सुधार की प्रक्रिया चुनाव आयोग से शुरू होनी चाहिए। बंदूक तानकर वोटरों को रोकने पर, चुन-चुनकर अधिकारी पोस्ट करने पर, विपक्षी दलों के जीतने पर परिणाम बदलने पर, सत्ताधारियों द्वारा पैसा बांटने पर पकड़े जाने पर, चुन-चुन कर पीडीए के वोट कटवाने पर, नकली आधार से वोट डालने पर चुनाव के दौरान योजना बनाकर घूस देने पर, कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होेंने कहा हम चाहते है कि वोटरलिस्ट एक हो और वोटर कार्ड में भी सुधार हो। उत्तर प्रदेश में एसआईआर में आधार कार्ड नहीं माना जा रहा है। जबकि उसमें सब डाकूमेंट है। फिंगर है। रेटिना की इमेज है। सारी जानकारी है। फिर भी आधार नहीं माना जा रहा है। इसका मतलब यह एसआईआर नहीं है। यह अंदर ही अन्दर एनआरसी है। जो एनआरसी का काम भाजपा खुलकर नहीं कर पा रही है वह एसआईआर के बहाने कर रही है।
यादव ने कहा कि सबसे ज्यादा सुधार की जरूरत भरोसा जगाने की है। ईवीएम हटाकर बैलेट से चुनाव हो। चुनाव धांधली पर तय समय सीमा में कार्रवाई हो। विपक्ष की शिकायतों की अनदेखी न हो। पक्षपात न हो। चुनाव आयोग निर्भीक हो। चुनाव आयोग सरकार के इशारे पर काम न करे। उन्होंने कहा कि चुनाव जीते जाते है, हारे जाते हैं लेकिन आयोग को निष्पक्ष होना चाहिए।
