- मुस्लिम तुष्टिकरण के चलते सपा ने महिला सम्मान की बलि चढ़ा दी है: बेबी रानी मौर्य
- क्या अखिलेश जी यह संदेश देना चाहते हैं कि सत्ता के लिए उन्हें अपनी पत्नी का अपमान भी स्वीकार है?
अथाह ब्यूरो
लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता एवं प्रदेश की कैबिनेट मंत्री बेबी रानी मौर्य ने सोमवार को पार्टी के राज्य मुख्यालय पर आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि 22 जुलाई 2025 को, समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनकी पत्नी, सपा सांसद डिंपल यादव नई दिल्ली में संसद मार्ग स्थित मस्जिद में गए। उनके साथ सपा के अन्य सांसद जैसे मोहिबुल्लाह नदवी (रामपुर सांसद और मस्जिद के इमाम), धर्मेंद्र यादव, और जिया उर रहमान बर्क भी थे। इस दौरान वहां एक बैठक हुई, जिसकी तस्वीरें और वीडियो वायरल हो गए। जिसके बाद मुस्लिम धार्मिक नेताओं ने सपा प्रमुख की धर्मपत्नी एवं सांसद डिंपल यादव को ‘राजनीतिक हिंदू महिला’ कहकर उनके पहनावे को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की। उन्होंने ऐसी आपत्तिजनक और मयार्दाओं के विपरित ऐसी टिप्पणियां की जिसको सभ्य समाज ना सुनना पसंद करता है ना बोलना।
उन्होंने कहा कि यह एक महिला सांसद की गरिमा पर ही नहीं अपितु एक भारतीय नारी और उसकी संस्कृति पर हमला था। हमारी विचारधारा और डिंपल यादव की विचारधारा भले ही अलग-अलग हों लेकिन महिला का अपमान किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है। डिंपल यादव पर की गई अशोभनीय टिप्पणी पर अखिलेश यादव का मौन निंदनीय ही नहीं, शर्मनाक भी है। मौलाना की बयानबाजी पर सपा का मौन क्या इस सोच की सहमति है कि सपा में महिलाओं की गरिमा अब मौलवी तय करेंगे? उन्होंने कहा कि हमारी विचारधारा सपा से अलग है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी किसी भी महिला का अपमान बर्दाश्त नहीं करती।
बेबी रानी ने कहा डिंपल यादव का मामला हो या किसी और महिला का, हर नारी का सम्मान हमारी प्राथमिकता है। भाजपा उनके राजनीतिक स्टैंड से नहीं, उनके महिला होने के नाते उनके साथ खड़ी है। उन्होंने कहा डिंपल यादव ने पूरी गरिमा और भारतीय मयार्दा के अनुरूप परिधान पहना था, फिर भी एक मौलाना ने उन्हें निशाना बनाया। क्या सपा अब मौलवियों के इशारे पर अपनी महिला सांसदों की गरिमा एवं उनका पहनावा भी तय करेगी? सपा प्रमुख डिंपल यादव के पति श्री अखिलेश यादव की चुप्पी भी कहीं ना कहीं उनकी वोट बैंक की लालसा को दशार्ती है। वोट की खातिर महिला अस्मिता और सम्मान से उनका यह समझौता उनकी कमजोरी और राजनीतिक स्वार्थपरकता को प्रतिबिंबित करता है कि समुदाय विशेष की नाराजगी से बचने और उनके वोट के लिए वह कहाँ तक जा सकते हैं ।
बेबी रानी मौर्य ने कहा कि सपा प्रमुख की चुप्पी यह भी दशार्ती है कि वे कट्टरपंथियों और तालिबानी मानसिकता रखने वालों के कितने बड़े समर्थक हैं कि सियासी फायदे के लिए वे अपनी स्वयं की धर्मपत्नी के अपमान पर भी मौन हैं। यहाँ तक कि परिवार के अन्य बड़े बुजुर्ग भी इस विषय पर चुप्पी साधे हुए हैं। उनकी पार्टी में भी साहस नहीं है कि वह अपनी सांसद की मयार्दा की रक्षा कर सके । उन्होंने कहा आज डिंपल यादव पर टिप्पणी हुई है, कल किसी भी महिला पर हो सकती है। क्या अखिलेश जी यह संदेश देना चाहते हैं कि सत्ता के लिए उन्हें अपनी पत्नी का अपमान भी स्वीकार है? अखिलेश यादव द्वारा मौलाना की आलोचना न करना दरअसल उस सोच को मौन समर्थन देना है जो महिलाओं को सार्वजनिक जीवन से हटाना चाहती है। उन्होंने कहा यह मुद्दा सिर्फ डिंपल यादव का नहीं, भारत की हर बेटी, हर महिला का है। मौलाना की जहरीली सोच को समर्थन देना सपा की सेक्युलर राजनीति का असली चेहरा उजागर करता है। समाजवादी पार्टी का यह मौन समर्थन बताता है कि जब बात महिला गरिमा और वोटबैंक में टकराव की हो, तो सपा मुखिया मौलाना के साथ खड़े होते हैं, महिलाओं के नहीं। लेकिन भारतीय जनता पार्टी हर बेटी के सम्मान में अडिग है, चाहे वह विपक्षी दल की ही क्यों न हो।
बेबी रानी मौर्य ने कहा कि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के महिला सशक्तिकरण के फर्जी नारों की पोल खुल गई है। ‘लड़की हूँ लड़ सकती हूँ’ का नारा देनी वाली प्रियंका गांधी वाड्रा भी अपनी साथी महिला सांसद के अपमान पर मौन हैं। जब मामला वोट बैंक का हो तो राहुल हों या प्रियंका गांधी हों या अखिलेश यादव सबकी जुबान पर ताले लग जाते हैं। यह कथन केवल व्यक्तिगत रूप से डिंपल यादव का अपमान नहीं था, बल्कि समस्त नारी जाति का अपमान है
उन्होंने प्रश्न खडे़ करते हुए कहा कि क्या यही समाजवादी पार्टी का असली ‘समाजवाद’ है? जो पार्टी संविधान, महिला अधिकारों और सेक्युलरिज्म की बात करती है, वही पार्टी अपनी महिला सांसद के अपमान पर खामोश क्यों है? क्या अखिलेश यादव को यह अपमान तब भी अस्वीकार्य नहीं लगता जब यह टिप्पणी उनकी पत्नी और सांसद डिंपल यादव के खिलाफ की गई हो? क्या मुस्लिम तुष्टिकरण के चलते समाजवादी पार्टी ने महिला सम्मान की बलि चढ़ा दी है? सपा की यह चुप्पी केवल चुप्पी नहीं, राजनीतिक कायरता है। उन्होंने कहा डिंपल यादव देश की एक निर्वाचित सांसद हैं। अगर उनके पहनावे को लेकर सार्वजनिक मंचों पर इस प्रकार की अशोभनीय टिप्पणी होती है और उनकी अपनी पार्टी तक उसका विरोध नहीं करती तो यह स्पष्ट संकेत है कि महिला सम्मान का मुद्दा इनके लिए केवल राजनीतिक भाषणों की सामग्री है, जमीनी सच्चाई नहीं। समाजवादी पार्टी की सरकार का इतिहास महिला अपराधों, दंगों एवं ऐसे अपराधियों के संरक्षण से भरा पड़ा है। इनकी सरकारों में महिला हिंसा के मामलों में उत्तर प्रदेश देश में पहले पायदान पर रहता था।
उन्होंने कहा कि इस पूरे प्रकरण ने दो बातें बिल्कुल स्पष्ट कर दी हैं कि महिला सम्मान इन दलों के लिए एक स्थायी मूल्य नहीं, बल्कि राजनीतिक सुविधा है। समाजवादी पार्टी के लिए इस्लामिक वोटबैंक की नाराजगी से बचना, एक महिला सांसद की गरिमा से ज्यादा जरूरी है। कांग्रेस और सपा की चुप्पी से एक बात और साफ हो जाती है कि इनकी लड़ाई महिला अधिकारों की नहीं, बल्कि राजनीतिक अवसरवाद की है।
