6 जुलाई देवशयनी एकादशी को हो रहे हैं बृहस्पति उदय
शिव शंकर ज्योतिष वास्तु एवं अनुसंधान केंद्र गाजियाबाद।दिनांक 4 जुलाई 2025 शुक्रवार को आषाढ़ शुक्ल नवमी भड़रिया नवमी के नाम से जानी जाती है।यह चातुर्मास से पहले का सबसे अंतिम अनबूझ विवाह मुहूर्त अर्थात स्वयं सिद्ध मुहूर्त होता है।ऐसे मुहूर्त में बिना किसी विद्वान से परामर्श किए बिना भी वैवाहिक कार्यक्रम हो सकते हैं।इसके अलावा अन्य कार्यक्रम जैसे गृह प्रवेश,नींव पूजन व अन्य अनुष्ठान संपन्न किये जा सकते हैं।दिनांक 6 जुलाई दिन रविवार को देव शयनी एकादशी है। एकादशी का व्रत 6 जुलाई को ही रखा जाएगा क्योंकि रात्रि 9::15 बजे द्वादशी तिथि आ जाएंगी। पौराणिक आख्यानों के अनुसार आषाढ़ शुक्ल एकादशी के दिन भगवान विष्णु शेष शैय्या पर विश्राम करने चले जाएंगे। पूरे चातुर्मास अर्थात 4 महीने विश्राम की मुद्रा में रहेंगे ।देव शयनी एकादशी से ही चातुर्मास आरंभ हो जाएगा। अर्थात वर्षा काल के चार महीनो में कोई भी वैवाहिक कार्य नहीं होगा। बृहस्पति 6 जुलाई को शाम 19:18 बजे उदय हो रहे हैं।बृहस्पति के उदय होने से वैसे तो कोई अंतर नहीं आएगा ,क्योंकि वैवाहिक मुहूर्त बृहस्पति अस्त के समय नहीं होते हैं। देवशयनी के दिन से तो वैसे भी विवाह मुहूर्त समाप्त हो जाते हैं ।बृहस्पति और सूर्य मिथुन राशि में चल रहे हैं जो सूर्य की युति के कारण निकटतम अंशों पर अस्त थे।किंतु सूर्य से अंशात्मक दूरी के कारण अब बृहस्पति उदय हो गए हैं।बृहस्पति उदय होने कारण अन्य शुभ कार्य जैसे नींव पूजन, गृह प्रवेश , अनुष्ठान मंत्र जाप उत्सव आदि जारी रहेंगे।पंडित शिवकुमार शर्मा, ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु कंसलटेंट गाजियाबाद