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समूचे देश के लिए प्रेरक उदाहरण है एमजीयूजी : आनंदी बेन पटेल

  • एमजीयूजी में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट की परियोजनाओं के लोकार्पण-शिलान्यास में बोलीं राज्यपाल
  • स्वास्थ्य, शिक्षा और सेवा का त्रिवेणी है एमजीयूजी : राज्यपाल

अथाह संवाददाता
गोरखपुर।
राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु के मुख्य आतिथ्य में मंगलवार शाम महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय गोरखपुर (एमजीयूजी) में आयोजित अकादमिक भवन, आॅडिटोरियम, पंचकर्म केंद्र के लोकार्पण तथा न्यू गर्ल्स हॉस्टल के शिलान्यास समारोह में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने एमजीयूजी की चार साल से भी कम समय की उत्कृष्ट प्रगति की मुक्त कंठ से सराहना की। उन्होंने कहा कि नाथपंथ के प्रवर्तक की तपोभूमि पर यह विश्वविद्यालय शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा का संगम बनकर उभर रहा है।

राज्यपाल ने कहा कि राष्ट्रपति की उपस्थिति आज महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के लिए एक विशेष अवसर है। आज यहां एक अकादमिक भवन, आॅडिटोरियम, पंचकर्म केंद्र का लोकार्पण और गर्ल्स हॉस्टल का शिलान्यास किया गया है। यह केवल एक निर्माण कार्य नहीं बल्कि सशक्तिकरण की दिशा में उठाया गया एक दृढ कदम है। यह आने वाली पीढ़ियों को सकारात्मक तरीके से प्रभावित करेगा। उन्होंने कहा कि गोरखपुर की यह पूण्य भूमि नाथपंथ के प्रवर्तक और भारत में सामाजिक परिवर्तन के वाहक महायोगी गोरखनाथ जी की तपोभूमि है। यह भूमि स्वयं में धार्मिक, आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक चेतना की स्रोत रही है। योग, स्वास्थ्य एवं शिक्षा के संगम के रूप में यह विश्वविद्यालय एक प्रेरणा स्रोत के रूप में उभर रहा है। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवा के माध्यम से सामाजिक कल्याण की बुनियादी संरचना को सशक्त करने का कार्य करेगा।

एमजीयूजी की सराहना करते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय केवल पारम्परिक चिकित्सा क्षेत्र में ही नहीं बल्कि आधुनिक विधाओं के क्षेत्र में भी कार्य कर रहा है। यह पूरे देश के लिए प्रेरणा की बात है।
राज्यपाल ने कहा कि हमारी सनातन परम्परा में सेवा को धर्म माना गया है। दयाभाव को ध्यान में रखकर गोरक्षपीठ ने शिक्षा, स्वास्थ्य एंव लोककल्याण के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कार्य किये है। यह विश्वविद्यालय स्वास्थ्य, सेवा एवं शिक्षा की त्रिवेणी है। यहां मेडिकल के सभी पाठ्यक्रम संचालित हो रहे है। इसमें 100 एमबीबीएस की सीट, 650 बेड का अत्याधुनिक चिकित्सालय भी है।

विश्वविद्यालय द्वारा 1800 बेड का एक चिकित्सालय आगे हम सबको प्राप्त होगा। यह विश्वविद्यालय सनातन परम्परा के आयुर्वेद में शिक्षा हेतु बीएएमएस पाठ्यक्रम एवं 200 बेड का आयुर्वेद चिकित्सालय भी है। इस विश्वविद्यालय में शोध एवं नवाचार को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।
राज्यपाल ने कहा कि भारत की उच्च शिक्षा की बात करे तो हमारा इतिहास एक गौरवशाली परम्परा की गवाही देता है। प्राचीन भारत में तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालयों ने समस्त विश्व को शिक्षा, संस्कृति एवं ज्ञान का मार्ग दिखाया था। पूरी दुनिया के जिज्ञासु विधार्थी यहां अध्ययन के लिए आते थे। कुछ समय के लिए यह परम्परा धुमिल हुई थी, लेकिन हमारे वैज्ञानिको, शिक्षकों एवं विचाराकों ने अपनी प्रतिभा एवं समर्पण के माध्यम से यह सिद्ध किया है कि भारत की ज्ञानधारा कभी रूकती नही है। वे न केवल राष्ट्र में बल्कि अंतरराष्ट्रीय पटल पर भी अपनी मेधा से भारत का नाम रोशन कर रहे है। दृढ़ विश्वास है कि यह विश्वविद्यालय ज्ञानवान, आत्मनिर्भर, सशक्त और स्वस्थ नागरिको का निर्माण करेगा और भारत को वैश्विक पटल पर और अधिक सशक्त करने में समर्थ होगा।

राज्यपाल ने कहा कि सभी छात्र ज्ञान प्राप्ति की ओर निरंतर अग्रसर रहें क्योंकि ज्ञान ही वह शक्ति है जो व्यक्ति को केवल रोजगार ही नही बल्कि चरित्र, विवेक व नेतृत्व भी प्रदान करता है।


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