Dainik Athah

मिथुन राशि में त्रिग्रही योग और सिंह राशि में मंगल केतु का अंगारक योग से अंतरिक्ष में घट रही विमान दुर्घटनाएं

सिंह राशि में केतु और मंगल का युति विश्व को विश्व युद्ध की ओर धकेल सकती है*6 जून  से ज्योतिषीय और खगोलीय गणना के अनुसार मिथुन राशि में गुरु और बुध का युति बन रही है। बुध अंतरिक्ष घटनाओं का कारक है और बृहस्पति  ज्ञान के साथ-साथ वाहन और यान से संबंध रखता है । विदेश यात्रा  में भी गुरु की बहुत ही अहम भूमिका होती है।

6 जून  को  बुध मिथुन राशि में गुरु के साथ  युति में चल रहे थे। बुध गुरु को परम शत्रु मानता है जो परस्पर सहयोग भावना को समाप्त करता है। 12 जून को सूर्य भी चलित भाव में मिथुन राशि में आ गये हैं, यद्यपि मिथुन की संक्रांति 15 जून को थी। लेकिन अंशात्मक योग के कारण उनका चलित में मिथुन राशि में त्रिग्रही बन गया और यह योग आकाशीय और वायुयान संबंधी घटनाओं का कारक बना। इसके साथ-साथ सिंह राशि जो सूर्य की अपनी राशि है उसमें मंगल और केतु का अंगारक योग बना हुआ है। इसके परिणाम स्वरूप अचानक वायुयान संबंधी घटनाएं ,हेलीकॉप्टर दुर्घटनाएं ,आपातकाल लैंडिंग ,वाहन  दुर्घटनाएं और अग्निकांड की घटनाएं निरंतर बढ़ गई है।

 बुध 22 जून को राशि परिवर्तन कर कर्क राशि में आ जाएंगे तो इन यान वाहन संबंधी घटनाओं में कमी आएगी।*आज प्रातः काल समाचार पत्र में प्रकाशित हुआ कि अंतरिक्ष  अभियान मिशन एक्सिओम- 4के तहत अंतरिक्ष में जाने वाले भारतीय वैज्ञानिक शिवम शुक्ला 22 जून को अंतरिक्ष में जाएंगे।एक महीने से उनका यह अभियान  बार-बार टल रहा था।क्या यह ज्योतिष के गणना की स्वीकारोक्ति नही है।* 22 जून को ही मिथुन राशि से बुध अपनी  राशि  परिवर्तन करकर्क राशि में आएंगे।सिंह राशि में केतु मंगल की युति 28 जुलाई तक रहेगी। इसके परिणाम स्वरूप विश्व में युद्ध की भयानकता, अग्निकांड, वज्रपात आदि विशेष रूप से बढ़ेंगे।

विश्व युद्ध की भी संभावना बन सकती है। केतु और मंगल पर राहु की दृष्टि होने से प्राकृतिक घटनाएं जैसे भूकंप अतिवृष्टि,भू स्खलन, बादल फटना आदि घटना में वृद्धि हो सकती है। इससे जनधन की हानि होने की संभावना है‌उपरोक्त ज्योतिषीय विश्लेषण के अनुसार सभी नागरिक अपनी सुरक्षा का ध्यान करते हुए यथोचित उपाय करें और सावधानी बरतें।पंडित शिवकुमार शर्मा,ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु कंसलटेंट

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