अ. भा. रेलवे खानपान लाइसेंसीज वेलफेयर एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल ने
अथाह ब्यूरो
नयी दिल्ली। अखिल भारतीय रेलवे खानपान लाइसेंसीज वेलफेयर एसोसिएशन का एक प्रतिनिधिमंडल गुरुवार को केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान से मिला। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व एसोसिएशन के अध्यक्ष रविंद्र गुप्ता ने किया। एसोसिएशन की ओर से पासवान को रेलमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंपा गया।
ज्ञापन में कहा गया है कि किसी जमाने में रेल विभाग की रेलवे स्टेशनों और रेल गाड़ियों में कैंटरिंग सुविधा रेल पैसेंजरों के लिए एक सुविधाजनक सर्विस प्रोवाइड करने का जरिया था। परंतु समय की बदलती रफ्तार ने सब कुछ बदल कर रख दिया। आज यह सुविधा का व्यापारीकरण एक विशाल रूप धारण कर चुकी है जो रेल यात्रियों, आम आदमी और लाइसेंस ठेकेदारों के लिए घातक सिद्ध हो रही है। गत कई वर्षों से रेलवे का कैंटरिंग विभाग लगातार चर्चा में बना हुआ है, क्योंकि रेलवे बोर्ड की अफसरशाही द्वारा जमीनी हकीकत को समझे बिना नादरशाही फरमान जारी करते हुए रेलवे कैंटरिंग के कारोबार को ग्रहण लगा कर रख दिया। अपनी चार-चार पीढ़ी रेलवे कैटरिंग के कारोबार में खपा चुके ठेकेदारों के लिए बड़ी असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है और आज यह कारोबार रेलवे ठेकेदारों के लिए सांप के मुंह में कोहड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई है। न इसको खा सकता है और न ही इसे छोड़ सकता है। जाएं तो कहां जाएं। रेलवे स्टेशनों पर पैसेंजरों को प्रोवाईड की जाने वाली कैंटरिंग सुविधा का व्यापारीकरण करके रेलयात्री कि कमर तोड़ दी। रेलवे ने पिछले 10 वर्षों में लाईसैंस फीस 500 प्रतिशत बढ़ा दी है, जो किसी के लिए भी भरना मुश्किल है।
दूसरी तरफ रेल विभाग द्वारा खाद्य पदार्थों के रेट ही नहीं बढ़ाए गए, जबकि महंगाई 200 प्रतिशत बढ़ चुकी है। भला ऐसी स्थिति में गुणवत्ता आएगी तो कहां से, इस समस्या की तरफ रेल विभाग ने कभी भी गंभीरता और संजीदगी के साथ विचार नहीं किया। चाय, कॉफी सहित सभी खान-पान पदार्थों के रेट तत्काल बढ़ाए जाने चाहिए क्योंकि 2012 के बाद रेल प्रशासन द्वारा बढ़ती महंगाई को देखते हुए एवं जीएसटी टैक्स लागू करने के बाद भी अभी तक रेट नहीं बढ़ाए, जब कि आईआरसीटीसी द्वारा समय-समय पर हर वर्ष रेट बढ़ाए गए हैं। आईआरसीटीसी की ही तर्ज पर कुछ क्षेत्रीय रेलों द्वारा भी रेट बढ़ाकर खान पान ठेकेदारों को राहत दी है।
पत्र में कहा गया है कि खान-पान की बेचे जाने वाली वस्तुओं से सम्बन्धित स्टाल, ट्राली व ट्रे के आवंटन, नवीनीकरण, मूल्य निर्धारण लाइसेंस फीस आदि को एक ही खान-पान नीति के अन्तर्गत लाया जाये। लाइसेंस फीस के निर्धारण के लिए दस प्वाइंट फामूर्ले को तुरन्त प्रभाव से रद्द किया जाये एवं पूर्व निर्धारित 12 प्रतिशत लाइसेंस फीस का नियम बहाल किया जाये। सभी श्रेणियों के रेलवे स्टेशनों पर कार्यरत छोटे स्टाल/ट्रालियों के लाइसेंसियों की यूनिटों कर समयबद्ध नवीनीकरण किया जाये। रेलवे बोर्ड, द्वारा रेलवे स्टेशनों पर कमर्शियल गैस से कुकिंग की अनुमति सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखते हुए दे दी जाये क्योंकि ट्रालियों पर और खोमचे द्वारा तथा स्टालों द्वारा ताजे बने हुए आवंटित खाद्य सामग्री न उपलब्ध होने से बिक्री काफी कम होती है। वैंडरों को बेरोजगारी से बचाने के लिए रेलवे बोर्ड अपने फैसलों पर पुन: विचार करे। पुराने खानपान लाइसेंसियों की मृत्यु हो जाने के बाद उनके उत्तराधिकारियों को उस कार्य से वंचित किया जा रहा है तथा उनको बेरोजगार किया जा रहा है। जबकि पूर्व की सभी नीतियों में यह व्यवस्था प्रदान की गई थी कि मृतक लाइसेंसी के नामित उताराधिकारियों के नाम लाइसेंस का हस्तांतरण कर दिया जाता था। वर्तमान में आ रही दिक्कतों को देखते हुए एसोसिएशन ने मांग की है कि लाइसेंसी की मांग पर उसके जीते जी उसकी इच्छानुसार लाइसेंस ट्रांसफर कर दिया जाए रेलवे बोर्ड द्वारा रेलवे के मंडलों को यह निर्देश दिया गया है कि पुराने लाइसेंसियों के लाइसेंस फीस में प्रतिवर्ष 10 प्रतिशत की वृद्धि करके लाइसेंस फीस लिया जा रहा है। जो कि वर्तमान में 3-5 गुना से ज्यादा हो गया है रेलवे बोर्ड ने लाइसेंस फीस के साथ 18 प्रतिशत जीएसटी जुलाई 2017 से अलग से लिया जा रहा है। इसके साथ ही लाइसेंसियों द्वारा माल खरीदने पर जीएसटी का भुगतान किया जाता है तथा बिक्री होने पर भी जीएसटी का भुगतान किया जाता है।
ज्ञापन में मांग की गई है कि बड़ी कम्पनियों, पार्टनरशिप फर्म, कॉपरेटिव सोसायटी कि तरह ही छोटे खान पान लाइसेंसियों के लाइसेंसों का नवीनीकरण किया जाए।
श्री पासवान ने एसोसिएशन कि मांगो का समर्थन करते हुए खान-पान लाईसेंसियों के हक में रेल मंत्री से बात करके समस्यायों का समाधान करवाने आश्वाशन दिया।