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सत्ता में थे तो दलितों का अपमान करते थे अखिलेश : असीम अरुण

  • योगी सरकार में समाज कल्याण मंत्री का अखिलेश यादव पर तीखा वार
  • दलित सम्मान, पोस्टिंग और छात्रवृत्ति में सपा की भूमिका पर उठाए सवाल
  • दलित महापुरुषों के नाम हटाकर सपा ने दिखाया असली चेहरा
  • छात्रवृत्ति में पारदर्शिता और रिकॉर्ड वितरण, योगी सरकार ने रचा नया कीर्तिमान
  • बंटवारे की राजनीति से वोट नहीं, नफरत फैलती है: असीम अरुण
  • मेट्रो, हाईवे, एयरपोर्ट… ये सब करदाताओं की मेहनत का नतीजा है

अथाह ब्यूरो
लखनऊ।
उत्तर प्रदेश सरकार में समाज कल्याण मंत्री और पूर्व आईपीएस अधिकारी असीम अरुण ने समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव पर तीखा हमला बोलते हुए उन्हें ‘बांटने वाली राजनीति’ का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव ने सत्ता रहते दलितों का अपमान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। ऐसी राजनीति की वजह से ही जनता ने उन्हें पूरी तरह नकार दिया और वे आज राजनीतिक हाशिए पर पहुंच गए हैं। उन्होंने अखिलेश यादव के बयान पर पलटवार करते हुए इसे सोची-समझी रणनीति बताया। उन्होंने कहा कि सपा के ज्यादातर लोगों को निर्देश दिए गए हैं कि दूध में नींबू डालने का काम करो, यानी समाज को बांटो और जहर घोलो। लेकिन अब उत्तर प्रदेश की जनता जागरूक है। योगी जी का स्पष्ट संदेश है कि ‘बंटोगे तो कटोगे, एक रहोगे तो सेफ रहोगे।’ सरकार सबको साथ लेकर चल रही है।

2017 के बाद जागा अखिलेश का दलित प्रेम
असीम अरुण ने कहा कि समाजवादी पार्टी का दलित प्रेम सत्ता से बाहर होने के बाद ही जागा है। उन्होंने आरोप लगाया कि जब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने दलित महापुरुषों के नाम पर बने जिलों और संस्थानों के नाम बदल दिए। भीम नगर, महामाया नगर, ज्योतिबा फुले, संत रविदास, यहां तक कि भगवान बुद्ध की माता महामाया जी के नाम पर कलम चला दी। क्या यह सम्मान है? नहीं, यह सामाजिक चेतना का अपमान है।

सपा राज में पोस्टिंग में भी होता था भेदभाव
पूर्व आईपीएस अधिकारी होने के नाते असीम अरुण ने पुलिस पोस्टिंग को लेकर भी बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा कि सपा शासन में अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के अधिकारियों को नियम के बावजूद थानों और तहसीलों में पोस्टिंग नहीं दी जाती थी। उन्होंने कहा कि जब उनके हाथ में पावर थी, तब दलितों के हक मारे गए। लेकिन आज पोस्टिंग काबिलियत के आधार पर हो रही है। जो निकम्मे हैं उन पर कार्रवाई हो रही है, और जो मेहनती हैं उन्हें प्रशिक्षण और संसाधन मिल रहा है।

योगी सरकार में छात्रवृत्ति का ऐतिहासिक रिकॉर्ड, सपा के घोटालों पर निशाना
मंत्री असीम अरुण ने कहा कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में छात्रवृत्ति वितरण के क्षेत्र में ऐतिहासिक काम हुआ है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष राज्य सरकार ने 4,000 करोड़ रुपये से अधिक की छात्रवृत्ति वितरित की, जिससे कुल 56 लाख विद्यार्थियों को लाभ हुआ है। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी के कार्यकाल में यह संख्या केवल 34 लाख थी और उस समय छात्रवृत्ति में भारी घोटाले भी सामने आए थे। असीम अरुण ने आरोप लगाया कि 2017 में जब अखिलेश यादव को लगा कि उनकी सरकार जा रही है, तो उन्होंने उसी साल बच्चों की छात्रवृत्ति रोक दी थी। लेकिन योगी जी ने मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद एक साल में दो वित्तीय वर्षों का बजट देकर सुनिश्चित किया कि किसी बच्चे की स्कॉलरशिप न रुके।

मेट्रो और इंफ्रास्ट्रक्चर करदाताओं के पैसों से
कानपुर मेट्रो के उद्घाटन को लेकर मंत्री ने कहा कि अखिलेश यादव को भ्रम है कि हर परियोजना उनकी ही शुरू की हुई है। सच यह है कि योगी सरकार ने वित्तीय संसाधनों को पारदर्शी तरीके से बढ़ाया है। जीएसटी कलेक्शन हो या माइनिंग, सब पारदर्शिता से हो रहा है। आज जनता ईमानदारी से टैक्स दे रही है, और मेट्रो जैसे विकास कार्य उसी से संभव हो पा रहे हैं।

जनता का आशीर्वाद मिला है और मिलता रहेगा
असीम अरुण ने कहा कि 2017 और 2022 में जनता ने भारतीय जनता पार्टी को ऐतिहासिक जनादेश दिया और आगामी चुनावों में भी इसी तरह समर्थन मिलेगा। क्योंकि आज प्रदेश में कानून का राज है, हर घर तक पानी पहुंच रहा है, सरकारी स्कूलों की स्थिति बेहतर हुई है, और जो कमियां बची हैं उन्हें दूर किया जा रहा है।


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