Dainik Athah

योगी सरकार की मुहिम लाई रंग, ग्राम पंचायतें कर रहीं टीबी मुक्त भारत का सपना साकार

  • प्रदेश में 7,191 और ग्राम पंचायतें हुईं टीबी मुक्त, कुल संख्या हुई 8,563
  • वर्ष-23 में प्रदेश की 1,372 ग्राम पंचायतें हुईं थीं टीबी मुक्त
  • सीएम योगी के वर्ष 2025 के अंत तक प्रदेश को टीबी मुक्त बनाने में ग्राम प्रधान निभा रहे अहम भूमिका
  • प्रदेश की 435 ग्राम पंचायतें, लगातार दूसरे वर्ष ही रहीं टीबी मुक्त

अथाह ब्यूरो
लखनऊ।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की वर्ष 2025 के अंत तक प्रदेश को टीबी मुक्त करने की मुहिम रंग ला रही है। सीएम योगी के प्रयासों से ही प्रदेश में 8,563 ग्राम पंचायतें टीबी मुक्त हो चुकी हैं। अन्य ग्राम पंचायतों को टीबी मुक्त करने के लिए प्रयास जारी हैं। योगी सरकार के प्रदेश को टीबी मुक्त करने के संकल्प की दिशा में खास तौर पर ग्रामीण इलाकों में टीबी के उन्मूलन की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम है। खास बात यह है कि इनमें से 435 ग्राम पंचायतें ऐसी हैं जो लगातार दूसरे वर्ष टीबी मुक्त घोषित हुई हैं।

टीबी मुक्त ग्राम पंचायतों की जन भागीदारी को बढ़ाने की दिशा में अहम पहल
राज्य टीबी अधिकारी डॉ. शैलेंद्र भटनागर के अनुसार प्रदेश में कुल 57,783 ग्राम पंचायतें हैं। इनमें से वर्ष 2023 में 1,372 ग्राम पंचायतें टीबी मुक्त घोषित हो चुकी थीं। वर्ष 2024 में 7,191 ग्राम पंचायतों ने टीबी मुक्त होने का दर्जा प्राप्त किया है । हाल ही में जिला स्तर पर इन सभी ग्राम पंचायतों को महात्मा गांधी की प्रतिमा एवं प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। इन पंचायतों को टीबी मुक्त करने में महिला ग्राम प्रधानों ने भी अहम भूमिका निभाई है। प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि टीबी जैसी सामाजिक स्वास्थ्य समस्या से निपटने के लिए सरकार युद्ध-स्तर पर प्रयास कर रही है। टीबी मरीजों के लिए जांच, इलाज और अन्य सुविधाओं का दायरा बढ़ाया गया है। ह्लटीबी-मुक्त ग्राम पंचायतह्व मुख्य रूप से जन भागीदारी को बढ़ाने की दिशा में अहम पहल है। इस कार्यक्रम ने ग्रामीण समुदायों को टीबी की पहचान, उपचार और रोकथाम के लिए सशक्त बनाया है, जिससे न केवल बीमारी को खत्म करने की दिशा में सामूहिक प्रयास को बढ़ावा मिला है बल्कि इससे जुड़ी गलत धारणाओं और कलंक को कम करने में भी सफलता मिली है।

Shilpi from Lucknow 

महिला प्रधान ने ठाना और गांव को मुक्त कराया दिया टीबी से
लखनऊ के मलिहाबाद की बढ़ी गादी ग्राम पंचायत की प्रधान शिल्पी शुक्ला के संकल्प ने एक वर्ष के अन्दर ही ग्राम पंचायत को टीबी मुक्त कर दिखाया। वर्ष 2020 में प्रधान बनीं तो गांव में टीबी के 20 मरीज थे। 35 वर्षीय शिल्पी ने इन मरीजों को अपने सामने दवाई खिलाना सुनिश्चित किया। वह इनके परिवार वालों से नियमित तौर पर मिलकर उन्हें मरीज की देखभाल, उनके खान-पान और स्वयं संक्रमण से बचने के लिए प्रोत्साहित करती रहीं जिससे सभी मरीजों ने दवाइयों का कोर्स पूरा किया और वे स्वस्थ हो गए। विभाग द्वारा मोबाइल पर समय-समय पर साझा की गई जानकारी को शिल्पी ने गांव वालों तक पहुंचाया। शिल्पी बताती हैं कि उन्होंने इस सन्देश को विशेष रूप से प्रचारित किया कि लगातार दो महीने तक दवा लेने के बाद टीबी मरीज में संक्रमण मुक्त होने की प्रबल सम्भावना बन जाती है, जिससे मरीज और अन्य लोगों में इस बीमारी को लेकर डर न रहे और लोग इलाज का महत्व समझें।

Anita from Bahraich 

बहराइच के लिए मिसाल बन गईं महिला प्रधान अनीता देवी
बहराइच के जिले की कारीडीहा ग्राम पंचायत को दूसरी बार टीबी मुक्त बनाकर ग्राम प्रधान 36 वषीर्या अनीता देवी ने ग्राम पंचायतों के सामने नई मिसाल पेश की है। अनीता देवी बताती हैं कि कारीडीहा को टीबी मुक्त बनाने की यह यात्रा साझा प्रयास था, जिसके लिए स्थानीय नेतृत्व और सरकारी तंत्र सबका सहयोग मिला। ग्राम प्रधान अनीता देवी ने जहां गांव को जागरूक करने की जिम्मेदारी उठाई, वहीं सीएचओ और आशा कार्यकतार्ओं ने टीबी की जांच, दवा और परामर्श की व्यवस्था गांव की चौखट तक पहुंचाई। अनीता देवी की योजना है कि गाँव के बाहर “टीबी मुक्त पंचायत झ्र कारीडीहा” का बोर्ड लगाया जाए और दीवारों पर जागरूकता स्लोगन लिखवाए जाएँ, ताकि हर कोई यह जान सके “लक्षण दिखें तो न छिपाएं, तुरंत आयुष्मान आरोग्य मंदिर पर जांच कराएं।”

सबका मिला साथ और ग्राम पंचायत हो गईं टीबी मुक्त
वाराणसी के पिंडरा ब्लाक के रामनगर, गाडर और कृष्णापुर कला ग्राम पंचायतें ऐसी हैं जो दूसरी बार टीबी मुक्त घोषित की गईं हैं। सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर जेएन सिंह के अनुसार रामनगर ग्राम पंचायत में विभागीय टीम के अलावा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से भी भरपूर सहयोग मिला जिससे टीबी मुक्त ग्राम पंचायत का सपना साकार करने में मदद मिली। ग्राम प्रधान रमाशंकर यादव की अध्यक्षता में ग्राम सभा की बैठक की गई, जिसमें लोगों द्वारा क्षय रोग के लक्षण के बारे में विस्तृतरूप से लोगों को समझाया गया। इसके अलावा आयुष्मान आरोग्य मंदिर पर सीएचओ अंकित शर्मा, आशा पुष्पा देवी, एकीकृत बाल विकास सेवा विभाग की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता किरण श्रीवास्तव और कुछ ग्राम सभा के सदस्यों का सहयोग भी सराहनीय रहा।

Dashrath from Fatehpur 

प्रधान बने तो जुट गए ग्राम पंचायत को टीबी मुक्त कराने में
फतेहपुर के धाता ब्लाक के घोषी गांव के प्रधान 52 वर्षीय दशरथ ने ग्राम पंचायत के तीन गांवों को टीबी मुक्त करने के लिए जो प्रयास किए, वे प्रेरणादायक हैं। दशरथ ने चार वर्ष पहले प्रधान का पद संभाला लेकिन गांव को स्वस्थ रखने का जूनून उनमें कई वर्षों पहले से था। वह बताते हैं कि यदि अपने या पड़ोसी गांव में कोई भी व्यक्ति बीमार दिखता तो वह तुरंत उसे बाइक पर बिठाकर सरकारी अस्पताल लेकर जाते थे। जब दशरथ प्रधान बने तो उनके गांव में आठ टीबी रोगी थे। उन्होंने इन सभी मरीजों की स्वयं निगरानी की और सुनिश्चित किया कि इनका इलाज पूरा हो। आशा कार्यकर्ता के संपर्क में आने के बाद उन्होंने टीबी और अन्य संक्रामक बीमारियों के खिलाफ लड़ाई को और मजबूत कर लिया। दशरथ का कहना है टीबी से लड़ाई में सबको आगे आना होगा, तभी इसे जड़ से समाप्त किया जा सकेगा।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *