- संघ- भाजपा में फिर से बढ़ रही आपसी समझ से प्रचारकों की कमी होगी दूर
- प्रचारकों की कमी से क्षेत्रों में पूरी तरह से नजर नहीं रख पा रहा नेतृत्व
- क्षेत्रों में संघ का बढ़ेगा भाजपा के साथ समन्वय
अशोक ओझा
लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी के राष्टÑीय अध्यक्ष के बयान से उपजे भाजपा- संघ के बीच संबंध अब फिर से पटरी पर लौटने लगे हैं। संघ की प्रतिनिधि सभा के बाद जिस प्रकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संघ मुख्यालय पहुंचे और समन्वय बैठकों का दौर शुरू हुआ है वह यह बताने के लिए काफी है कि संघ एक बार फिर अपनी पुरानी भूमिका में आता जा रहा है। अब संघ से भाजपा को प्रचारक भी बड़ी संख्या में मिलने की उम्मीद बलवती होने लगी है।
बता दें कि भाजपा को उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में संघ के प्रचारकों की कमी खल रही है। पूर्व में यह होता था कि हर क्षेत्र में एक वरिष्ठ प्रचारक को भाजपा में सह संगठन महामंत्री के रूप में दायित्व मिलता रहा है। ये सह संगठन महामंत्री पूरे क्षेत्र चाहे वह पश्चिम हो, ब्रज, काशी, अवध, गोरखपुर या कोई और क्षेत्र संगठन के साथ ही पार्टी के कार्यक्रमों एवं पार्टी पदाधिकारियों पर कड़ी नजर रखते थे। इसके साथ ही रणनीति बनाने में भी इनकी बड़ी भूमिका होती थी। सह संगठन महामंत्री के रहते हुए कोई भी पदाधिकारी निरंकुश स्थिति में नहीं रहते थे। उन्हें यह पता था कि उनके ऊपर सह संगठन महामंत्री के माध्यम से संघ की भी नजर है तथा हर रिपोर्ट पार्टी आलाकमान तक पहुंच रही है।
लेकिन पिछले कुछ समय से जब से सह संगठन महामंत्री नियुक्त होने बंद हुए क्षेत्रीय क्षत्रपों की पौ बारह हो गई और वे ही पूरे क्षेत्र में सवेसर्वा हो गये। इससे पार्टी के प्रदेश एवं राष्टÑीय नेतृत्व के सामने भी संकट उत्पन्न होने लगे। पार्टी सूत्रों के अनुसार पार्टी के थिक टैंक भी यह मानने लगे थे कि पूरे देश में क्षेत्रीय क्षत्रप निरंकुश होते जा रहे हैं। इसके लिए सह संगठन महामंत्री पदों के लिए प्रचारकों की मांग होने लगी, लेकिन प्रचारक उतनी संख्या में भाजपा को नहीं मिल पा रहे थे जितने की आवश्यकता थी। इसके पीछे संघ- भाजपा में कुछ मुद्दों पर उभरे मतभेद भी कारण बने थे।
भाजपा सूत्रों की मानें तो पिछले दिनों संपन्न हुई संघ की प्रतिनिधि सभा की बैठक में इस पर सैद्धांतिक सहमति बनी है कि भाजपा को प्रचारकों की एक बड़ी खेप दे दी जाये जिससे संगठन में नीचे के स्तर तक सुधार हो।
सूत्र बताते हैं कि भाजपा के संगठन चुनाव संपन्न होने के बाद भाजपा में प्रचारकों की कमी को दूर कर दिया जायेगा। तब तक संघ भी यह तय कर लेगा कि किन किन प्रचारकों को भाजपा में काम करने के लिए भेजा जाये। इसके साथ ही जिन प्रचारकों की कार्यप्रणाली को लेकर ऊंगली उठ रही है उनमें से कुछ की घर वापसी हो सकती है। यानि वे संघ में सेवा कार्य के लिए वापस जा सकते हैं। अब देखना होगा कि भाजपा की यह मांग कब तक पूर्ण होती है।