Dainik Athah

यह कैसी पूजा पद्धति, सड़क किनारे डाल रहे पूजा सामग्री, हो रहा अपमान

मुरादनगर गंग नहर सूखी है, पूजा सामग्री जाल के पास सड़क पर फैंक कर मान लेते हैं हो गई गंगा जी को समर्पित

अथाह, विशेष संवाददाता
मुरादनगर।
गंगा के आसपास निकलने वाला हर व्यक्ति गंगा के दर्शन कर उसे नमन अवश्य करता है। यदि कोई व्यक्ति पैदल है तो समय के अनुसार पवित्र गंगा जल का आचमन अवश्य करेगा। यदि वह बस अथवा कार या दोपहिया वाहन से है तब भी गंगा मां को नमन अवश्य करेगा। हिंदू धर्म की परंपरा यहीं चली आ रही है कि पूजा विधान समाप्त होने के बाद पूजन सामग्री को गंगा अथवा यमुना में प्रवाहित किया जाता है।

लेकिन पतित पावनी गंगा को गंदा न करने के लिए आम आदमी के साथ ही उच्चतम न्यायालय तक कठोर हो चुका है। पूजन सामग्री गंगा में प्रवाहित करने पर रोक के बाद अब लोगों ने खेतों में पूजन सामग्री डालनी शुरू कर दी है। लेकिन लगतार है कि दिल्ली एनसीआर के लोग कोई सबक नहीं सीख रहे।

संजय कश्यप, संयोजक सेंटर फॉर वाटर पीस

. पूजा सामग्री नदी में नहीं डालनी चाहिये
पूजा सामग्री को नदियों अथवा तालाबों में डाले जाने पर स्वच्छ जल प्रदूषित होता है। इसको लेकर सरकारों के साथ ही उच्चतम न्यायालय की गाइड लाइन में रोक है। इससे जहां जल प्रदूषित होता है, वहीं मूर्तियां प्रवाहित करने से जल में पैदा होने वाले जीव जंतुओं की मृत्यु हो जाती है जिससे पाप लगता है। मुरादनगर गंग नहर पर जिस प्रकार सड़क किनारे पूजा सामग्री डाली गई है वह पूरी तरह से गलत है। इससे पुण्य के स्थान पर पाप के भागीदार बनते हैं।

पिछले कई दिनों से मुरादनगर गंग नहर के ऊपर से आते जाते हुए पुल के ऊपर लगे जाल (जाल जीडीए ने इसलिए लगवाया जिससे कोई सामग्री गंग नजर में डालकर जल को प्रदूषित न करें) के आसपास समूचे पुल पर पूजन सामग्री के ढ़ेर लगे हैं। यह ढ़ेर हिंदू समाज की परंपरा पर सवाल खड़े कर रहे हैं। जिन भगवान की आप पूजा करते हैं। पूजा करने के बाद क्या सामग्री को इस प्रकार सड़क पर यूं ही डालकर ढ़ेर लगाया जाता है। क्या यहीं हमारी श्रद्धा है।

पंडित राकेश शास्त्री, राजनगर, गाजियाबाद

पूजा सामग्री के अपमान से पाप के भागीदार बनते हैं
पहले छोटे छोटे गांव होते थे एवं तकरीबन हर गांव के पास से नदियां होकर जाती थी। पूजा करने के बाद सामग्री को बहते जल में प्रवाहित करने की परंपरा थी। लेकिन आज गांव एवं शहरों का स्वरूप बदल गया है। इसके साथ ही स्वच्छ जल को गंदा न करने को लेकर सरकारों के साथ ही उच्चतम न्यायालय के निर्देश है। इस समय सभी को चाहिये कि पूजा करने के बाद सामग्री को या तो गड्ढा खोदकर दबाया जाये, घर के गमलों में डाला जाये अथवा खेत में डाला जाये। जिस प्रकार सड़क पर पूजा सामग्री फैंकी जा रही है इससे जो भी आपने पूजा की है उसका पुण्य मिलने के स्थान पर आप पाप के भागीदार बनोगे। सड़क पर पूजा सामग्री पैरों के नीचे आती है जिससे पूजा सामग्री का अपमान हो रहा है।

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